नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद बैंकों की जमा में हुई जोरदार बढ़ोतरी के बाद भी बैंक अपनी ब्याज दरों को शायद ही कम करें। इसकी वजह है कि रिजर्व बैंक ने बढ़ी हुई जमा पर 100 प्रतिशत का नकद आरक्षित अनुपात सीआरआर लागू कर नकदी सोख ली है।
एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, ‘‘दरों में कटौती को भूल जाएं, बैंकों को बचत खातों पर चार प्रतिशत के ब्याज भुगतान के लिए संसाधन जुटाने मुश्किल हो रहे हैं। इन बचत खातों में 500 और 1,000 के नोट भारी मात्रा में जमा हुए हैं।’’
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ब्याज दरों को एक निश्चित सीमा से नीचे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे पूंजी निकलने लगेगी।
अधिकारी ने कहा कि आप ब्याज दरों को इतना नीचे नहीं ला सकते कि यहां से पूंजी अमेरिका पहुंचने लगे। इस बीच, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक तथा एचडीएफसी बैंक ने पहले ही अपनी जमा पर ब्याज दरें घटा दी हैं। इसे ऋण दरों में कटौती से पहले का कदम माना जाता है।