नई दिल्ली। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नोटबंदी के बाद बैंक जमाओं में वृद्धि का ब्याज पर पडऩे वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताते हुए आज कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि घरेलू दर एक स्तर से नीचे नहीं आए। ब्याज दर के एक स्तर से नीचे आने से विदेशी पूंजी बाहर जा सकती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘आप ब्याज दर को बहुत नीचे नहीं ला सकते क्योंकि ऐसा होने पर पूंजी यहां से बाहर जा सकती है...ब्याज दर संतुलन का कार्य करता है। आप इसे बहुत नीचे या बहुत उपर नहीं ले जा सकते।’’
हालांकि इस समय सरकार के लिए ब्याज दर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि फिलहाल जोर मुद्रा के वितरण पर है।
कम ब्याज दर से विदेशी निवेश वापस जा सकता है। भारतीय बांड बाजार आकर्षक बनेगा जिससे पूंजी देश से बाहर जाएगी।
आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपए के नोटों पर पाबंदी के बाद अबतक 6.0 लाख करोड़ रुपए से अधिक जमा हुए हैं। सरकार को कुल 15 लाख करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है।
अग्रिम कर भुगतान के संदर्भ में अधिकारी ने कहा कि कुछ प्रभाव पड़ सकता है लेकिन यह दीर्घकालीन लाभ के लिए अल्पकालीन समस्या है।