बैंगलूर। अमरीकी म्युचुअल फंड मॉर्गन स्टैनली ने भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट में अपने शेयरों का मूल्य 38 प्रतिशत घटा दिया है जिससे कंपनी का मूल्यांकन घटकर 5.58 अरब डॉलर रह गया है। मॉर्गन स्टैनली के इस कदम से फ्लिपकार्ट को प्रतिस्पर्धी कंपनी एमेजॉन से मुकाबला करने के लिए रकम जुटाने का दबाव बढ़ेगा।
मॉर्गन स्टैनली ने फ्लिपकार्ट में अपनी हिस्सेदारी के मूल्यांकन में लगातार छठी तिमाही में कटौती की है। कंपनी का मूल्यांकन ऐसे समय में घटा है जब कंपनी रकम जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है। यूएस सिक्योरिटी ऐंड एक्सचेंज कमीशन को 28 नवंबर को दी जानकारी में मॉर्गन स्टैनली ने सितंबर में समाप्त तिमाही के दौरान फ्लिपकार्ट में अपने शेयरों का मूल्यांकन 52.13 डॉलर प्रति शेयर कर दिया जो इससे पिछली तिमाही के 84.29 डॉलर प्रति शेयर के मुकाबले काफी कम है।
जून 2015 में उसने फ्लिपकार्ट के लिए 142.24 डॉलर प्रति शेयर का मूल्यांकन किया था। हालांकि अमेरिकी म्युचुअल फंड ने मूल्यांकन घटाने की वजहों का खुलासा नहीं किया है लेकिन विश्लेषक और उद्योग के जानकारों का कहना है कि भारत में एमेजॉन के बढ़ते आधार की वजह से शायद ऐसा किया गया हो। वजीर एडवाइजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक हरमिंदर साहनी ने कहा, 'यह पूरी कवायद सैद्धांतिक है क्योंकि मूल्यांकन की गणना का कोई तय फॉर्मूला नहीं है। अगर मॉर्गन स्टैनली यह मूल्यांकन तय करता है तो दुनिया में कहीं भी कोई निवेशक इससे आगे नहीं जाएगा।' उन्होंने कहा कि ऐसा मॉर्गन स्टैनली अपने तर्क के आधार पर किया होगा और इसे कोई नकार नहीं सकता। अब देखना यह है कि इसका असर क्या होगा।
फ्लिपकार्ट के मूल्यांकन को न केवल मॉर्गन स्टैनली ने घटाया है बल्कि म्युचुअल फंड निवेशक वैलिक और फिडेलिटी ने भी मूल्यांकन में कटौती की है। अगस्त में खत्म हुई तिमाही के दौरान इन दोनों कंपनियों ने फ्लिपकार्ट में अपने निवेश का मूल्य 11.3 प्रतिशत और 3.25 प्रतिशत घटा दिया था। मूल्यांकन में कटौती से फ्लिपकार्ट के रकम जुटाने की आगामी योजना पर असर पड़ेगा। कंपनी नए निवेशकों को साथ लाने के लिए निवेश बैंकर नियुक्त करने की संभावना देख रहा है। माना जा रहा है कि कंपनी के मूल्यांकन को लेकर बात नहीं बनने के कारण संभावित निवेशक वॉलमार्ट ने किनारा कर लिया था।
फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता ने कहा, 'म्युचअल फंड मार्क-टु-मार्केट विशुद्घ रूप से सैद्घांतिक कवायद होती है और इसका वास्तविकता से कोई लेनादेना नहीं होता है। हमें कारोबार में अच्छी संभावना दिख रही है और परिचालन का प्रदर्शन भी बेहतर है। हम ग्राहकों के लिए नवोन्मेष, बाजार के विस्तार और दीर्घावधि में विकास के एजेंडे पर ध्यान देना जारी रखेंगे।' भारत की स्टार्टअप कंपनियों के मूल्यांकन में पहले भी कुछ निवेशकों ने मूल्यांकन घटाया है। ओला की सबसे बड़ी निवेशक सॉफ्टबैंक ने कंपनी में अपने निवेश का मूल्यांकन कम किया था।