नई दिल्ली। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी ने कहा है कि 30 सितंबर को समाप्त हुई कालाधन खुलासा योजना के तहत की गई घोषणा में यदि कोई प्रामाणिक संशोधन किया जाता है तो उसकी अनुमति दी जाएगी। घोषणा में जितनी राशि का खुलासा किया गया है संशोधन में यदि प्रमाणिक रूप से यह कम भी होती है तब भी उसे माना जाएगा।
यह ताजा निर्देश तब जारी किया गया है जब इस बारे में विभाग के कुछ क्षेत्रीय अधिकारियों ने कुछ सवाल उठाए हैं। उन्होंने पाया कि कुछ संशोधित घोषणाएं वास्तविक हैं लेकिन उन्हें आगे कैसे बढ़ाया जाए इसको लेकर उनमें शंका थी। क्योंकि सीबीडीटी की तरफ से पहले जो निर्देश थे उसमें कहा गया था कि इस तरह की फाइलिंग को तभी वैध माना जाएगा जब संशोधित घोषणा पहले बताई गई घोषणा से कम नहीं होगी। यानी आय घोषणा योजना आईडीएस के तहत 30 सितंबर से पहले जो घोषणा की गई संशोधित घोषणा उससे कम नहीं होनी चाहिए।
सीबीडीटी ने कहा, ‘‘मामले की जांच परख की गई। यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां क्षेत्राधिकार वाले प्रधान आयुक्त अथवा आयुक्त इस बात से संतुष्ट हैं कि फार्म नंबर एक आईडीएस के तहत दायर फार्म में की गई घोषणा की गलती वास्तविक लगती है। संबंधित प्रधान आयुक्त अथवा आयुक्त घोषणा को प्रसंस्कृत करते हुए उस पर गौर करेंगे।
सीबीडीटी ने कहा है, ‘‘ऐसे मामलों में क्षेत्राधिकार के प्रधान आयुक्त अथवा आयुक्तों को फार्म नंबर दो निकालने की सुविधा प्रदान की गई है जिसे वह विभाग की प्रणाली पर निकाल सकते हैं।’’