लंदन। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र की नकारात्मक रेटिंग बरकरार रखते हुये आज कहा है कि पर्याप्त पूँजी के बिना इस क्षेत्र की वित्तीय स्थिति डाँवाडोल ही बनी रहेगी।
फिच का कहना है कि पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोट पर प्रतिबंध लगाने से बैंकों में जमा राशि बढ़ेगी, जिससे कर्जदार कम ब्याज दर पर ऋण ले पायेंगे और बैंकों की पूँजी लागत कम हो जायेगी।
हालाँकि, रेंटिग एजेंसी ने साथ ही कहा है कि नोटबंदी से बैंकिग क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना संभव नहीं है क्योंकि बैंकों के वे कर्जदार जो नकदी पर निर्भर होंगे, वे अपना ऋण चुका पाने में असमर्थ हो जायेंगे और इस बीच अन्य लोग अपनी जमाराशि भी निकालते रहेंगे।
नोटबंदी के मिश्रित प्रभाव को देखते हुये एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र सरकारी बैंकों में पूँजी की कमी और कमजोर निवेश के कारण दबाव में होगा।
रेंटिगं एजेंसी ने पहले यह कहा था कि ‘बसल 3 बैंकिंग नियमों’ के मुताबिक, भारतीय बैंकों को मार्च 2019 तक लगभग 90 अरब डॉलर पूँजी की जरूरत होगी और इस पूँजी का 80 फीसदी अगले दो वित्त वर्ष में ही जुटाना होगा। फिच के विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीय बैंकों को फिलहाल पूँजी की सख्त जरूरत है। रेंटिंग एजेंसी ने साथ ही उम्मीद जतायी है कि जोखिम में फँसे ऋण के मामलों में कमी आयेगी। -एजेंसी