नई दिल्ली। टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जा चुके साइरस मिस्त्री ने टाटा पावर के शेयरधारकों से समर्थन मांगा है। टाटा पावर ने मिस्त्री को निदेशक पद से हटाए जाने के प्रस्ताव पर विचार के लिए 26 दिसंबर को असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाई है। इससे पहले मिस्त्री ने शेयरधारकों को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा है। इसमें उन्होंने कहा कि 2012 में टाटा पावर के सामने कई चुनौतियां थीं।
मूंदड़ा अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (सीजीपीएल) के हालातों की वजह से कंपनी के बने रहने को लेकर खतरा था। कंपनी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर करीब दोगुना करने के लिए सीजीपीएल को स्थापित किया गया था। इस प्रोजेक्ट में 2.6 अरब डॉलर का निवेश किया गया। इसमें इंडोनेशियाई कोयले के इस्तेमाल की योजना थी।
पत्र में कहा गया कि टाटा पावर ने कोल असेट्स में 1.2 अरब डॉलर निवेश किया था, जिससे कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। हालांकि, इंडोनेशियाई सरकार की ओर से नियम कायदों में बदलाव के कारण प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता प्रभावित हुई।
टाटा पावर ने केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के समक्ष याचिका दायर की है और मामला कोर्ट में लंबित है। इस सप्ताह के शुरू में बिजली नियामक सीईआरसी ने इंडोनेशिया की ओर से नियमों में बदलाव के कारण टाटा पावर को कोयले की बढ़ी हुई लागत का भार ग्राहकों पर डालने की अनुमति दे दी। यह और बात है कि यह राहत सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पर निर्भर है जहां मामला अब भी लंबित है।