मुंबई। नोटबंदी के बाद मुंबई के हलचल भरे चमचमाते ज्वैलरी बाजार, राष्ट्रीय सर्राफा और आभूषण बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। स्वर्ण मार्केटों में ऐसा हाल शायद पहले कभी नहीं देखा गया होगा। भारत के सबसे पुराने और बड़े व्यापारिक केंद्र की हजारों छोटी-बड़ी आभूषण की दुकानों और पूर्वी और पश्चिमी उपनगरीय इलाके की खुदरा दुकानें उत्सुकता के साथ ग्राहकों का इंतजार कर रही हैं। साल का विशेष, बेहतरीन शादी का मौसम चल रहा है। मुंबई में मई-जून तक प्रत्येक महीने लगभग 15,000 शादियां होनी हैं।
आमतौर पर यह पैसे बनाने का समय होता है। लेकिन इस साल इन शादियों की कोई रौनक नहीं है। उपनगरीय इलाके के प्रमिला ज्वैलर्स के मालिक एस.के. वेली ने कहा, मुझे नोटबंदी से पहले कुछ दुल्हन के गहनों के छोटे आर्डर मिले थे, जिसे मैंने तैयार कर दिया है। अब ग्राहक इन गहनों को लेने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनके पास इसके भुगतान के लिए पैसे नहीं है।
कुछ ग्राहक अब किस्तों में भुगतान करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वेली ने इससे इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि उन्हें कई जगह अग्रिम भुगतान करना होता है। इस तरह से तैयार दुल्हन के गहने दुकान में पड़े हुए हैं। इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन, मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन जैसे बड़े निकाय और दूसरे व्यापारिक संघ इसे लेकर बहुत चिंतित हैं, लेकिन वे ज्यादा कुछ कर पाने में अक्षम हैं।