मुंबई। विनिर्माण क्षेत्र पर नवंबर में नोटबंदी का असर देखा गया तथा निक्केई द्वारा जारी पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) अक्टूबर के 54.4 से गिरकर नवंबर में 52.3 पर रह गया।
निक्केई के लिए रिपोर्ट तैयार करने वाली बाजार सर्वेक्षण एजेंसी मार्किट इकोनॉमिक्स की अर्थशास्त्री पालियाना डी लीमा ने भारत के पीएमआई आँकड़ों पर प्रतिक्रिया में कहा पीएमआई आँकड़े यह दिखाते हैं कि ऊँचे मूल्य वाले नोटों को अचानक अमान्य करार दिये जाने से विनिर्माण क्षेत्र के लिए मुश्किल पैदा हो गयी है क्योंकि नकदी की कमी से नये ऑर्डर, खरीददारी और उत्पादन प्रभावित हुआ है। हालाँकि, कुछ लोगों ने क्षेत्र के पूरी तरह लुढक़ जाने का पूर्वानुमान लगाया होगा, लेकिन वह वृद्धि बनाये रखने में कामयाब रहा।
सूचकांक का 50 से ऊपर रहना बढ़ोतरी तथा इससे नीचे रहना ह्रास दिखाता है जबकि 50 स्थिरता का स्तर है। रिपोर्ट के लिए सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों में से अधिकांश ने कहा कि नोटबंदी से अल्पावधि में कारोबार प्रभावित होगा। हालाँकि, उनका यह भी मानना है कि लंबे समय में इससे विकास को गति मिलेगी।
निक्केई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि विनिर्माण गतिविधियों की रफ्तार धीमी पडऩे का प्रमुख कारक नये ऑर्डरों में धीमी वृद्धि है। यह जुलाई के बाद सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ा है। निर्यात के लिए प्राप्त ऑर्डरों की बढ़ोतरी की रफ्तार भी धीमी रही।
उसने कहा कि नकदी की कमी के कारण विनिर्माण उत्पादन में भी कमी आयी है। कंपनियों ने कच्चे माल की खरीद भी कम बढ़ाई है और इसका कारण नकदी की कमी बताया है।
नवंबर में नौकरियों की संख्या लगभग स्थिर रही। इस दौरान लागत मूल्य में कमी आयी है जिससे अधिकतर कंपनियों ने अपना विक्रय मूल्य स्थिर रखा है। लीमा ने कहा कि मुद्रास्फीति का यदि यही रुख बना रहा तो ब्याज दरों में और कटौती संभव है। -एजेंसी