नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसे ऐसा नहीं लगता कि पेट्रोलियम ईंधन के दाम करने का बोझ पड़ने से सरकारी तेल विपणन कंपनियां लाभांश वितरण कम करेंगी। सरकार ने हाल में सरकारी तेल कंपनियों पर डीजल और पेट्रोल का भाव प्रति लीटर एक-एक रुपए कम करने की जिम्मेदारी डाली है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने ट्वीट कर के कहा कि पेट्रोल-डीजल पर उपभोक्ताओं को दी गई छूट में कटौती की कोई योजना नहीं है।
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वे ऐसी रपटों पर टिप्पणी कर रहे थे कि वर्तमान परिस्थितियों में तेल विपणन कंपनियां लाभांश कम कर सकती हैं, सरकार को सब्सिडी घटानी पड़ सकती है और विनिवेश से प्राप्ति बजट के लक्ष्य से कम हो सकती है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य को पा लेने का भी दावा किया।
उन्होंने ट्वीट किया, ये (रपट) पूरी तरह मनगढंत हैं। इनमें से कुछ भी सच नहीं है। सरकार ने इस साल के बजट में चालू वित्त वर्ष में 80 हजार करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा है।
उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर सरकार द्बारा हाल ही में दी गई छूट से तेल विपणन कंपनियों का मुनाफा सालाना आधार पर नौ हजार करोड़ रुपए कम होगा।
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चालू वित्त वर्ष के बचे समय में इस आधार पर इन कंपनियों का मुनाफा 4,500 करोड़ रुपए कम होगा जिसमें आधी हिस्सेदारी अकेले इंडियन ऑयल की होगी।