उच्च मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के तात्कालिक परिणाम के रूप में भुगतान कारोबार से जुड़े गैर बैंकिंग संस्थाओं को अप्रत्याशित लाभ होगा। एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, ‘नोटबंदी के तात्कालिक परिणाम के रूप में भुगतान करोबार से जुड़े पेटीएम और फ्री चार्ज जैसी संस्थाओं को अप्रत्याशित लाभ होगा, क्योंकि ग्राहकों के हस्तान्तरणों के लिए वस्तु और सेवाओं की खुदरा विक्रेताओं की शृंखला गैर नकदी तरीके अपनाने को बाध्य होंगी।’
एसोचैम के अध्ययन से पता चला है कि डिजिटल वॉलेट के रूप में काम कर रहे करीब 45 प्री-पेड भुगतान उपकरण (पीपीआई) संस्थाओं ने सेवा देनी शुरू कर दी है, लेकिन केवल कुछ संचालक उनके कारोबार को आक्रामक ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं और विपणन कर रहे हैं। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, ‘हालांकि, नोटबंदी उनके लिए एक बड़े अवसर लेकर आई है। पीपीआई को न केवल इस नगदी संकट की अवधि में अप्रत्याशित लाभ होगा, बल्कि आगे भी उन्हें लाभ होने जा रहा है। यह प्रणाली किराने की बहुत छोटी दुकानों तक पहुंच जाएगी।’
मोबाइल वॉलेट से भुगतान के अलावा ग्राहकों को संग्रहीत मूल्य सेवा की पेशकश के साथ गैर बैंकिंग पीपीआई जारीकर्ताओं को भारतीय रिजर्व बैंक से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए हस्तान्तरण करने की अनुमति मिली हुई है। उन्होंने कहा कि कैशलेश अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के सरकारी जोर के कारण उम्मीद है कि निजी क्षेत्र की पीपीआई उत्पाद अन्वेषण और ग्राहकों और व्यापारियों तक पहुंच बढ़ाने के लिए अधिकाधिक निवेश करेंगी।