नई दिल्ली। वित्तीय सेवा संस्थान डीबीएस का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं व रपये में उतार चढाव को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के लिए अगले साल की पहली तिमाही बेहतर समय होगा लेकिन रिजर्व बैंक यह कदम दिसंबर में ही उठा सकता है ताकि वृद्धि को बल दिया जा सके।
डीबीएस का कहना है कि नोटबंदी के कदम के बाद आर्थिक गतिविधियों पर प्रकिूल असर पडऩा तय है विशेषकर खपत, आपूर्ति शृंखला व नकदी आधारित अन्य कारोबार प्रभावित होंगे। यह असर इस तिमाही व अगली तिमाही भी रहेगा।
फर्म ने अनुसंधान पत्र में कहा है,‘ नीतिगत मोर्चे पर, वैश्विक अनिश्चितताओं व रपये में उतार चढाव को देखते हुए लग रहा है कि नीतिगत ब्याज दरों में कटौती के लिए अगले साल की पहली तिमाही बेहतर समय होगा लेकिन रिजर्व बैंक यह कदम दिसंबर में ही उठा सकता है ताकि वृद्धि को बल दिया जा सके।’
उल्लेखनीय है कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौकि नीति समिति ने पिछले महीने नीतिगत ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती कर 6.25 फीसदी कर दिया। रिजर्व बैंक द्विमासिक मौकि नीति की अगली समीक्षा 7 दिसंबर को करेगा। -एजेंसी