वाशिंगटन। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अन्य उपाय किए बिना भारत में बड़ी राशि के मुद्रा पर रोक की नीति से कोई लाभ की संभावना सीमित है। इतना ही नहीं इस कदम से अफरा-तफरी तथा सरकार में विश्वास की कमी हुई है। एक चर्चित अर्थशास्त्री ने यह बात कही।
विश्वबैंक के पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति के पूर्व आर्थिक सलाहकार लारेंस समर्स ने एक ब्लाग में कहा कि हर कोई की तरह हम भी भारतीय प्रधानमंत्री नरें मोदी के 500 और 1,000 रुपए के नोट पर पाबंदी के नाटकीय कदम से अचंभित है।
समर्स ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में दुनिया के किसी भी देश में मुद्रा नीति के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण बदलाव है।
नताशा सरीन के साथ मिलकर लिखे गए ब्लॉग में कहा है, ‘‘हमें इस बात का संदेह है कि जिन लोगों के पास अवैध कमाई है, वे उसे नकद में रखेंगे। हमारे हिसाब से वे उसे विदेशी मुद्रा, स्वर्ण, बिटक्वाइन या किसी अन्य रूप में बदल लिए होंगे।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अन्य उपाय किए बिना हमें संदेह है कि मुद्रा सुधार से कोई ठस प्रभाव होगा। भ्रष्टाचार किसी और रूप में बना रहेगा।