जयपुर। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी और भारत रूरल लाइवलीहुड्स फाउंडेशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आजीविका सुलभ कराने के लिए आज ग्रामीण आजीविका प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम की शुरुआत की।
यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो़ विवेक भंडारी ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि यह पाठ्यक्रम उचित ज्ञान और कौशल के साथ क्षमता निर्माण की दिशा में एक अनूठी पहल है। यह कार्यक्रम मध्य भारत के 10 राज्यों के आदिवासी युवाओं की क्षमता के विकास पर केंद्रित है।
इस दिशा में आईआईएचएमआर और बीआरएलएफ ने ग्रामीण आजीविका के विभिन्न आयामों को शामिल करते हुए 15 प्रमुख संगठनों के साथ एक बहुविषयक पाठ्यक्रम तैयार किया है।
उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम के पहले बैच के लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड और छत्तीसगढ़ से कुल 30 छात्रों का चयन किया गया है। इन उम्मीदवारों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और विशेष रूप से कमजोर समुदायों और समूहों से जुड़े छात्र भी शामिल हैं।
उन्होंने कहहा कि ग्रामीण आजीविका में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय और भारत रूरल लाइवलीहुड्स फाउंडेशन के बीच सहयोग के कई पहलुओं में से एक है। इस पाठ्यक्रम का प्रमाणपत्र आईआईएचएमआर और बीआरएलएफ द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। पाठ्यक्रम में ऐसी विषयवस्तु शामिल की गई है, जिसमें लोगों के ज्ञान का मूल्य पहचानते हुए उन्हें सक्षम बनाने पर जोर दिया गया है।
इस अवसर पर बीआरएलएफ के अध्यक्ष डॉ. मिहिर शाह ने कहा कि फाउंडेंशन का एक अहम उद्देश्य ग्रामीण पेशेवरों का एक ऐसा समूह तैयार करना है जो समुदाय और सरकार के विकास कार्यक्रमों को लागू करने में व्यापक तौर पर मददगार साबित हो सकें।
यह पहल बीआरएलएफ के क्षमता निर्माण के कार्यक्रम का हिस्सा है। इस कार्यक्रम का निर्माण वर्तमान में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत सरकारी और सिविल सोसायटी संगठनों और टार्गेट समूहों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ग्रामीण आजीविका के क्षेत्र में यह पाठ्यक्रम हालात को पूरी तरह बदल देगा और प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी को दूर करने में भी सहायक साबित होगा। साथ ही यह आदिवासी युवाओं को आजीविका के साधन तलाशने में भी मददगार साबित होगा।