अब डॉक्टरी की डिग्री ले लेने और रजिस्ट्रेशन करा लेने भर से कोई जिंदगी भर प्रैक्टिस नहीं कर पाएगा। सरकार जल्द ही ऐसे इंतजाम करने जा रही है कि जिसके तहत डॉक्टर को समय-समय पर अपनी काबिलियत का टेस्ट देना पड़ेगा। इस टेस्ट में पास होने के बाद ही उसे आगे प्रैक्टिस जारी रखने की अनुमति मिल पाएगी।
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सरकार मेडिकल क्षेत्र में सुधारों के तहत इस योजना को अमल में लाने जा रही है। इसके तहत हर तीन या पांच साल में डॉक्टरों के लिए पुनर्मूल्यांकन परीक्षा (रीवैल्यूएशन टेस्ट) का आयोजन किया जाएगा। इसकी अवधि पर अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। इसके तहत मेडिकल क्षेत्र में डॉक्टर के ज्ञान को परखा जाएगा। साथ ही, यह भी जाना जाएगा कि नई दवाओं और तकनीक से वह कितना वाकिफ है।
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प्रस्तावित नैशनल मेडिकल कमिशन बिल में इसका प्रावधान किया जा रहा है। इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किया जा सकता है। डॉक्टर इसका विरोध कर रहे हैं। यह कमिशन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की जगह लेगा। बिल में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि मेडिकल कॉलेजों की मान्यता उनके स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस के आधार पर ही जारी रहेगी यानी अगर परफॉर्मेंस ठीक नहीं है, तो कॉलेज की मान्यता खत्म की जा सकती है।