पूर्ण शराबबंदी से समझौता नहीं, जरूरत होगी तो कानून में संशोधन संभव: नीतीश

Samachar Jagat | Monday, 14 Nov 2016 08:01:08 PM
Absolute prohibition agreement can not be possible if the amendment Nitish kumar

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी के कोई समझौता नहीं होगा, लेकिन इससे संबंधित नये कानून में संशोधन की जरूरत होगी तो वह किया जाएगा। 

कुमार ने यहां ..लोक संवाद.. कार्यक्रम के दौरान नये शराबबंदी कानून में बदलाव के संबंध में लोगों के सुझावों को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं जिसमें बदलाव संभव नहीं है। 

राज्य में शराबबंदी कानून लागू की गई है और उसकी पृष्ठभूमि पुरानी है। उन्होंने कहा कि जगह-जगह पर महिलाओं की ओर से शराबबंदी की मांग उठती थी और इसमें पुरूष भी शामिल रहते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह शराबबंदी के पक्ष में शुरू से ही थे। 

उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी वर्ष 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर द्वारा लागू की गई थी लेकिन यह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई। हरियाणा में भी शराबबंदी लागू की गयी थी लेकिन वहां भी यह असफल रही । उन्होंने कहा कि गुजरात में शुरू से शराबबंदी लागू है लेकिन वहां के लोगों के अनुसार होम डिलिवरी की सुविधा उपलब्ध है।

कुमार ने कहा कि राज्य में शराबबंदी तैयारी के बाद लागू की गयी और इसके लिये जबरदस्त अभियान भी चलाया गया। घर-घर शराबबंदी का संदेश पहुंचाया गया। 

उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों ने अपने अभिभावकों से शराबबंदी का शपथ पत्र भरवाकर जमा किया और एक करोड़ 19 लाख शपथ पत्र भरे गए। इसी तरह शराबबंदी से संबंधित 9 लाख स्थानों पर नारे लिखे गये तथा 25 हजार स्थानों पर नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अप्रैल 2016 से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में और 5 अप्रैल से पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। उन्होंने कहा कि गिने-चुने लोग जिन्हें शराब पीने की लत हैं, उनको छोडक़र शराबबंदी का कोई विरोध नहीं कर रहा है। मद्य निषेध कानून बनाने से पूर्व सभी जगहों के कानून का अध्ययन किया गया। उन्होंने कहा कि इसी तरह दण्ड के प्रावधानों को भी देखा गया। उच्चतम न्यायालय ने भी कहा है कि शराब पीना और शराब का व्यापार करना मौलिक अधिकार नहीं है।

कुमार ने कहा कि जो लोग शराबबंदी के पक्ष में हैं, वे शराबबंदी कानून का समर्थन भी करते हैं। शराबबंदी कानून लागू करना सरकार का लक्ष्य है और इसलिए इस कानून को कड़ा बनाया गया है। 

उन्होंने कहा कि जो लोग शराबबंदी कानून को तालिबानी बता रहे हैं, उन्हें भी अपना सुझाव देना चाहिए कि किस तरह से इस कानून को गैर तालिबानी कानून बनाया जाय। सुझाव के बाद विधानमण्डल के दोनों सदनों की बैठक भी बुलाई जाएगी। शराबबंदी का अच्छा प्रभाव हुआ है और इससे किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा ।

लोक संवाद के दौरान कई लोगों ने सरकार को सुझाव दिया कि शराबबंदी कानून में घर से शराब की बोतल मिलने पर परिवार के सभी वयस्क सदस्यों को गिरफ्तार करने और पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना लगाने का प्रावधान हटाया जाए। इसी तरह कई अन्य सुझाव भी दिए गए। बैठक के बाद उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने बताया कि जो सुझाव प्राप्त हुए हैं उन्हें रिकार्ड कर लिया गया है। 

विभाग उसका अध्ययन करेगा और उसके बाद सरकार उसपर समग्र रूप से विचार करने के बाद निर्णय लेगी। लोक संवाद में कई वरीय अधिवक्ता, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और कैंसर सोसाइटी के प्रतिनिधियों, कुछ मीडिया से जुड़े लोगों समेत लगभग 40 लोगों ने सुझाव दिए ।

इस मौके पर वित मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान, ऊर्जा मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक पी.के ठाकुर, प्रधान सचिव उत्पाद एवं मद्य निषेध आमिर सुबहानी, प्रधान सचिव वित रवि मितल, प्रधान सचिव वाणिज्यकर सुजाता चतुर्वेदी, प्रधान सचिव नगर विकास चैतन्य प्रसाद समेत कई अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे ।
 



 

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