पुणे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि अमान्य हो चुके 500 व 1000 रुपये के नोट बैंक में जमा करने वाले किसानों पर कर लगेगा। इंटरनेशनल कांफ्रेंस एंड एक्जिबिशन ऑन शुगरकेन वैल्यू चेन-विजन 2016 को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि आठ नवंबर को हुए विमुद्रीकरण की घोषणा अगर पहले से कर दी गई होती तो भ्रष्टाचार से लडऩे के मुख्य मकसद का ही अंत हो जाता।
मोदी ने कहा, एक भ्रम फैलाया जा रहा है, विमुद्रीकरण के बाद किसानों को यह कह कर भ्रमित किया जा रहा है कि बैंकों में नोट जमा करने वाले किसानों पर कर लगेगा। मैं सभी किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आप पर कोई कर नहीं लगेगा। यह देश आपका है, पैसा आपका है, बैंक आपके हैं और मोदी भी आपका है। प्रधानमंत्री ने कहा, हम इसे (विमुद्रीकरण) 8 नवंबर से पहले नहीं कर सकते थे। नहीं तो, सूचनाओं के लीक होने का खतरा था। अगर सूचना लीक हो जाती तो विमुद्रीकरण का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता।
जमाखोर अपने धन को खपाने के तरीके ढूंढ निकालते। मोदी ने दोहराया कि यह कदम भ्रष्टाचार के साथ-साथ उग्रवादी एवं आतंकवादी समूहों से संघर्ष के लिए नितांत आवश्यक था। मोदी ने रविवार को ही गोवा में की गई अपील की तरह पुणे में भी लोगों से कहा कि वे देश से कालेधन को निकालने के लिए उन्हें 50 दिन का समय दें।
उन्होंने कहा, हमारे दुश्मन अपनी मुद्रा की तुलना में हमारी मुद्रा अधिक छापते हैं। वे हमारी अर्थव्यवस्था में जाली नोट भरने के खेल में लगे हैं। उग्रवादी समूह, चाहे वे नक्सल हों या आतंकी, वे इस धन को छिपाते हैं और हथियार खरीदते हैं। यह जरूरी था कि उन तक होने वाली धन की इस आपूर्ति के सिलसिले को काट दिया जाए। इसलिए हमने विमुद्रीकरण के इतने बड़े फैसले को लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा, केवल 500 और 1000 की नोट की कीमत ही 14 लाख करोड़ है। हमारे दुश्मन, भ्रष्ट और समाज विरोधी तत्व इसका इस्तेमाल करते हैं। यह सही है कि दिक्कत होगी लेकिन यह 70 साल पुरानी बीमारी को दूर करने का रास्ता साफ करेगा। यह आने वाली पीढिय़ों, गरीबों के लिए नई राह खोलेगा।