छत्तीसगढ़। बिलासपुर जिले के मरवाही विधानसभा क्षेत्र के पिपरिया गांव के किसान की आत्महत्या करना राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। वह किसान तीन साल से लगातार सूखा पडऩे की पीड़ा भोग रहा था। इसके बाद बैंक से ऋण जमा कराने के नोटिस से परेशान होकर उसने अपनी ईहलीला समाप्त कर ली है।
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इस मामले को उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उइके ने कहा है कि किसान की आत्महत्या किए जाने के मामले में अधिकारियों को जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।उईके ने शुक्रवार को यहां प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि पिपरिया ग्राम के किसान सुरेश सिंह मरावी बैंक के नोटिस से परेशान था।
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सरकार की नाकामी से परेशान होकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल से सूखे की मार झेल रहा सुरेश को वहां के पटवारी ने सूखा राहत के तहत मात्र 13161 रुपए की क्षतिपूर्ति स्वीकृत की थी। पटवारी ने उनके फसल क्षति का सर्वे किए बिना ही रिपोर्ट दी। सिंचित फसल वाले खेतों के लिए एक लाख पांच सौं और असिंचित खेतों में फसल नुकसान पर 51 हजार रुपए क्षतिपूर्ति का प्रावधान है।
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यहां पर बीमा कंपनी के सीईओ और उस क्षेत्र के एसडीएम, तहसीलदार ने बिना सर्वे कराए ही क्षतिपूर्ति की राशि तय कर दी। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि किसान सुरेश कुमार ने 6 जून को आत्महत्या किया और 8 जून को सहकारी बैंक मरवाही शाखा के उनके खाते में शासन की ओर से एक लाख 79 हजार 745 रुपए जमा कराए गए हैं।
अगर शासन की ओर से यह राशि पहले ही जमा करा दी जाती तो किसान आत्महत्या करने से बच । पूरे मामले में घोर लापरवाही के कारण उक्त किसान की मौत हुई है। उइके ने कहा कि मामले में अफसरों की लापरवाही को देखते हुए उन पर प्राथमिकी दर्ज किया जाना चाहिए।
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उन्होंने पूरी प्रक्रिया में राजस्व विभाग के अधिकारियों को दोषी बताया और उन पर कार्रवाई नहीं होने पर 18 जून को थाने का घेराव और आन्दोलन करने की धमकी दी है। साथ ही मृतक किसान के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने की भी मांग की।