पटना। बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश अध्यक्ष मगल पांडे के जदयू प्रवक्ताओं को मूर्खों की जमात बताने के बयान पर पलटवार करते हुए आज कहा कि पांडेय भाजपा के लिए अपशकुन की तरह है जिनके प्रदेश अध्यक्ष बनते ही पार्टी के हाथ से सत्ता खिसक गई।
बिहार जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद और नीरज कुमार ने यहां कहा कि अनुकम्पा के आधार पर राजनीति में आए पांडेय सुलझे हुए राजनीतिज्ञ की बजाय नौकरी करने वालों जैसी भाषा बोल रहे हैं। वह तो वैसे भी भारतीय जनता पार्टी के लिए अपशकुन बने हुए हैं। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनते ही बिहार में भाजपा के हाथ से सत्ता चली गई और फिर विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को चारो खाने चित्त होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए लगातार अमंगलकारी साबित हो रहे मंगल पांडेय स्वयं को मोदीजी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) अर्थशास्त्र का बड़ा ज्ञानी मानते हैं और पार्टी में इनकी पहुंच-पकड़ है तो जमीन खरीद मामले में उठ रहे सवालों को जवाब क्यों नहीं दे रहे। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जमीन बिक्री के सात कागजातों से साबित होता है कि इस सौदे में एक करोड़ 75 लाख 45 हजार रूपए का नकद भुगतान किया गया। इसमें आरटीजीएस कहां हुआ। दस जिलों से प्राप्त कागजातों में यह स्पष्ट नहीं है कि वहां जमीन खरीद में चार करोड़ 04 लाख 23 हजार रूपए का भुगतान कैसे किया गया। यदि पांडेय को पता है तो बताएं कि इनमें कहां और किस-किस नंबर से आरटीजीएस हुआ है।
जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार भाजपा उपाध्यक्ष लालबाबू प्रसाद के नाम से जमीन की रजिस्ट्री होना और भी चकित करने वाला है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की पहले से जानकारी होने के कारण बड़े पैमाने पर कालाधन खपाने के लिए जल्दी-जल्दी जमीन खरीदने और बड़ी मात्र में गुप्त भुगतान करने के मामले में भाजपा की पोल खुल चुकी है।
इसलिए भाजपा नेता इसे स्वीकार कर लें अथवा दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए सरकार इसकी जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति नियुक्त करे। उन्होंने कहा कि अपना पल्ला झाडऩे के लिए केवल कुतर्क करने का कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि उनकी पार्टी मुंह खोलेगी तो बात दूर तक जाएगी।