नक्सलियों का फरमान: ग्राम सचिव, शिक्षक दें माह भर का वेतन

Samachar Jagat | Wednesday, 30 Nov 2016 09:25:40 AM
Naxalites diktat Gram secretary the teacher put a month salary

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों पर प्रतिबंध का व्यापक असर देखा जा रहा है। सूबे के सुकमा जिले के अंदरूनी इलाकों चिंतागुफा, भेज्जी व जगरगुंडा में नक्सलियों ने ग्राम सचिव, शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों को एक माह का वेतन संगठन को देने का फरमान जारी किया है। दहशत के चलते शासकीय कर्मी इसकी शिकायत भी नहीं कर पा रहे। सुकमा के पुलिस अधीक्षक आईके एलेसेला का इस बाबत कहना है, नक्सलियों द्वारा कर्मचारियों से एक माह का वेतन जमा करने का फरमान जारी करने तथा कॉलेज विद्यार्थियों से उनका धन बैंक खातों में जमा कराने का दबाव बनाने की सूचनाएं मिल रही हैं। इसकी तस्दीक करवाई जा रही है।

हाल में ही नक्सलियों ने कुछ छात्रों को रकम जमा करवाने चेरला भी भेजा था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सुकमा जिले के चिंतागुफा, भेज्जी व जगरगुंडा क्षेत्रों में पदस्थ ग्राम पंचायत सचिव तथा शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों को नक्सलियों ने यह फरमान जारी किया है कि वे पार्टी को अपना एक महीने का वेतन चंदा के रूप में प्रदान करें। सहयोग नहीं करने पर परिणाम भुगतने तक की चेतावनी दी गई है। साथ ही कॉलेज छात्रों पर उनके परिजनों के खातों में नक्सलियों के पुराने नोट 25-25 हजार रुपये जमा करने का भी दबाव बनाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि सप्ताह भर पहले नक्सलियों ने जगरगुंडा क्षेत्र के तीन ग्रामीणों व शासकीय कर्मचारियों को अगवा कर उनकी बेरहमी से पिटाई की।

बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इस फरमान को नोटबंदी के चलते नक्सलियों की बौखलाहट के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है की सुकमा जिले को कभी नक्सलियों का उप-मुख्यालय माना जाता रहा है। बीते आठ नवंबर से बड़े नोटों पर बंदिश के चलते नक्सलियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। रसद, दवाएं, कपड़े एवं रोजमर्रा की जरूरतों के लिए उन्हें रुपयों की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, नक्सली इन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता ठेकेदार, निर्माण एजेसियों, पंचायतों व बोरवेल वाहनों से भारी पैमाने पर वसूली करते हैं। सूत्रों के मुताबिक, संभाग में नक्सलियों का सालाना टर्न ओवर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक बताया जाता है। मंदी से जूझ रहे नक्सली अब शासकीय कर्मचारियों से फौरी तौर पर जरूरतें पूरी करने के लिए उगाही करना चाह रहे हैं।

नक्सल मामलों के जानकारों के अनुसार, लेवी वसूली का 70 फीसदी हिस्सा केंद्रीय समिति को भेजा जाता है। वहीं स्पेशल जोनल कमेटी, एरिया कमेटी तथा सशस्त्र लड़ाकू कॉडर पीएललजीए के दस्तों द्वारा लाखों रुपये नकदी छिपाकर रखा जाता है। माह भर पहले मलकानगिरी में हुए मुठभेड़ में मारे गए नक्सल नेताओं से काफी मात्रा में नकद राशि बरामद हुई थी। चूंकि नक्सली अपना इलाका लगातार बदलते रहते हैं इसलिए वे जंगल में गाडक़र भी नकदी रखते हैं। बीजापुर व सुकमा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में दो ग्रामीण नक्सलियों के लिए रकम ले जाते हुए भी पकड़े गए थे।

 



 

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