चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के एक विशेष सत्र ने आज एसवाईएल के मुद्दे पर दो प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए और राज्य सरकार को जमीन किसी भी एजेंसी को नहीं सौंपने और किसी को सतलुज यमुना लिंक नहर का निर्माण कार्य करने की इजाजत नहीं देने का निर्देश दिया।
दूसरा प्रस्ताव कहता है कि राज्य सरकार को पानी जारी करने पर ‘लागत और रॉयल्टी’ लगाने का मामला केंद्र और पड़ोसी राज्यों के सामने उठाना चाहिए। विधानसभा का विशेष सत्र आज एसवाईएल के मुद्दे पर बुलाया गया था । उससे पहले 10 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर जल बंटवारा समझौते को खत्म करते हुए वर्ष 2004 में पारित किए गए कानून को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।
पंजाब केबिनेट ने कल यह घोषणा की थी कि वह परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन को अधिसूचना के दायरे से बाहर कर देगा और उसे इसके ‘मूल मालिकों’ को बिना किसी कीमत के लौटा देगा। कांग्रेस के विधायक आज सदन से नदारद थे क्योंकि इस पार्टी के सभी 42 विधायकों ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने पहले कहा था कि मामला विचाराधीन है।