बारिश का पूर्वानुमान (बारिश अच्छी होगी या नहीं) लगाने के लिए हर साल जयपुर के जंतर-मंतर में वायु परीक्षण किया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस परीक्षण से जो परिणाम प्राप्त होता है उसमें से 80 प्रतिशत सटीक होता है। आप भी ये जरूर जानना चाहेंगे की ये परीक्षण कैसे किया जाता है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं इसके बारे में....
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ऐसे होता है वायु परीक्षण :-
हर वर्ष एक निश्चित दिन ज्योतिषाचार्य जंतर-मंतर में एकत्रित होकर यज्ञ और मंत्रोचार करते हैं और इसके बाद वायु परीक्षण प्रारंभ किया जाता है। वायु परीक्षण के लिए वेधशाला में बने सबसे ऊँचे सम्राट यंत्र के शिखर पर पहुंचकर झंडे की मदद से पवन की दिशा का पता लगाया जाता है। कई बार अगरबत्ती जलाकर इसके धुएं से भी वायु परीक्षण किया जाता है।
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वायु परीक्षण का परिणाम :-
सम्राट यंत्र 105 फीट ऊँचा है और इससे हवा की दिशा और स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। ज्योतिष विज्ञान में वर्षा भी एक भाग है, उसमें कार्तिक शुदा प्रतिपदा यानि नवम्बर से जून तक का समय वर्षा का गर्भाधान काल कहलाता है। इस आठ माह के काल के योग भी इस अनुमान में शामिल किए जाते हैं। हवा का रुख और आठ माह के योग से परिणाम निकाला जाता है। अगर इस परीक्षण में हवा का रूख पूर्व की ओर हो यानि पुरवाई हो तो उस वर्ष अच्छी बारिश होने के संकेत मिलते हैं।
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