उदयपुर। फ्लोरोसिस एवं फ्लोराइड विशेषज्ञ डॉ. शांतिलाल चौबीस ने कहा कि फ्लोराइडय़ुक्त जल पीने से न केवल दाँत एवं हड्डियाँ क्षतिग्रस्त होती हैं बल्कि सबसे बड़ी चिन्ताजनक बात यह है कि युवा पीढ़ी की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है और बच्चों के सोचने-समझने एवं बौद्धिक क्षमता (आई.क्यू.) का स्तर भी धीरे-धीरे क्षीण हो रहा है।
बाल अपराध के खिलाफ जमा होंगे विश्व नेता
डॉ. चौबीसा के मुताबिक इस जहर से आने वाली पीढिय़ों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है क्योंकि यह गर्भस्थ शिशु को भी हानि पहुंचाता है। उदयपुर के निवासी डॉ. चौबीसा ने भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों में व्याप्त फ्लोराइड जनित फ्लोरोसिस बीमारी की ताजा स्थिति और इससे स्वास्थ्य पर होने वाले घातक दुष्प्रभावों तथा समस्याओं के साथ ही इससे बचने के विभिन्न अत्याधुनिक उपायों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी देकर देश-दुनिया के वैज्ञानिकों की खूब सराहना पायी।
उन्होंने फ्लोराइड़ युक्त पानी पीने से दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों के दस हजार मिलियन से अधिक लोग फ्लोराइड़ बीमारी से जकड़े हुए हैं। एशिया में भारत एवं चीन में इसका सर्वाधिक प्रकोप है। भारत के 27 राज्यों में 75 मिलियन से अधिक लोग फ्लोरोसिस से पीडि़त हैं। इनमें 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे भी शामिल हैं। राजस्थान समेत गुजरात, तेलंगाना एवं आंध्रप्रदेश के लगभग सभी जिलों का भूजल फ्लोराइड से प्रदूषित है। पशु भी फ्लोरोसिस से पीडि़त हैं।
मोदी जी नोटबंदी का फैसला वापस ले लीजिए :केजरीवाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पीने के पानी में फ्लोराइड़ की अधिकतम सुरक्षित मात्रा 1.5 पीपीएम निर्धारित है जबकि भारत में यह 1.0 पीपीएम है। प्रो. चौबीसा ने भारत में निर्धारित मानक को सही नहीं मानते हुए कहा कि भारत की जलवायु एवं लोगों के खान-पान के स्तर को देखते हुए फ्लोराइड़ की अधिकतम सुरक्षित मात्रा 0.5 पीपीएम होनी चाहिए क्योंकि इसका संबंध स्थानीय जलवायु एवं खान-पान पर भी गहरी तरह निर्भर है वहीं उन लोगों एवं पशुओं में भी फ्लोरोसिस बीमारी देखी गई है जो 0.5 पीपीएम से कम फ्लोराइड युक्त जल पीते हैं। -एजेंसी
Read More:
चाय के अलावा चेहरे को दमकाने के भी काम आता है मिल्क पावडर
ज्यादा ब्वॉयफ्रेंड वाली लडकिया हो जाती है ज्यादा मोटी, जाने वजह ?
बेस्ट दिखने के लिए रोज करें ये उपाय