अजमेर। राजस्थान में अजमेर जिले के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ता विद्यार्थी बलवीर सिंह पूनिया ने शोध में दावा किया है कि राजस्थानी भाषा 1500 वर्ष पुरानी है। वहीं विश्व की 30 भाषाओं में भी राजस्थानी भाषा शामिल है।
पूनिया का यह शोधपत्र राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पूनिया ने शोधपत्र गाजियाबाद के एसआरएम विश्वविद्यालय में लेंगवेज एंड लिटरेचर एजेज विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया। पूनिया केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में राजस्थान की संस्कृति पर शोध कर रहे है।
उन्होंने दावा किया है कि भाषा विज्ञान के दृष्टि कोण से राजस्थानी भाषा इण्डो आर्यन परिवार की प्रमुख भाषाओं में से एक है और तीन लाख शब्दों वाली यह भाषा पांच करोड से भी ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है। इटली के भाषाविद् एल पी टेसीओरी ने राजस्थानी भाषा को पूर्ण भाषा बताया है। इसी प्रकार फ्रांसिसी भषा के जीव बाकर्स ने सभी भाषाओं का अध्ययन कर राजस्थानी भाषा को विश्व की प्रथम तीस भाषाओं में शामिल किया है।
गौरतलब है कि प्रमुख साहित्यकारों, कवियों तथा पत्रकारों के अलावा कन्हैयायालय सेठिया, विजयदान देथा तथा आईदान सिंह भाटी जैसे दिग्गजों ने भी राजस्थानी को संविधान में दर्जा दिलाने की मांग की थी। राजस्थानी भाषा को लेकर प्रदेश में मुहिम चलती आ रही है।
वार्ता