नई दिल्ली। भारत की टेनिस सनसनी और डबल्स में वर्ल्ड की नंबर वन महिला टेनिस स्टार सानिया मिर्जा का जन्म 15 नवंबर 1986 को मुंबई में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद के एनएएसआर स्कूल में हुई। हैदराबाद के ही सेंट मैरी कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया। सानिया के पिता इमरान खेल रिपोर्टर थे और मां नसीमा मुंबई में प्रिंटिंग व्यवसाय से जुड़ी एक कंपनी में काम करती थीं। सानिया का बचपन पारंपरिक शिया खानदान में गुजरा।
सानिया को कामयाब बनाने में उनके पिता का अहम योगदान है। हैदराबाद के निजाम क्लब में सानिया ने छ्ह साल की उम्र से टेनिस खेलना शुरू किया। महेश भूपति के पिता और भारत के सफल टेनिस प्लेयर सीके भूपति से सानिया ने अपनी शुरुआती कोचिंग ली। पैसे की कमी के चलते सानिया के पिता ने कुछ बड़े व्यापारिक समूहों से स्पांसरशिप ली। हैदराबाद से शुरुआत करने के बाद वह अमेरिका की टेनिस अकेडमी गईं।
सानिया ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर की। उस समय वे महज 14 साल की थीं। उसके बाद उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैचों में शिरकत की और सफलता भी पाई। 2003 में उनकी किस्मत चमकी जब वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद उन्होंने जूनियर विंबलडन में डबल्स में जीत हासिल की।
2007 के मध्य में सानिया की एकल में अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 27 तक पहुंच गई थी जो किसी भी भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा थी। 2006 में दोहा में हुए एशियाई खेलों में उन्होंने लिएंडर पेस के साथ मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के एकल मुकाबले में दोहा एशियाई खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता। 2009 में उन्होंने महेश भूपति के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन का मिक्स डबल्स खिताब जीता।
इसी के साथ वो ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। इसी साल अप्रैल में सानिया और हिंगिस की जोड़ी ने नंबर-1 की रैंकिंग हासिल की। वे नंबर वन टेनिस रैंकिंग तक पहुंचने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं। वे पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से भारत की नंबर वन महिला टेनिस प्लेयर बनी हुई हैं।
16 साल की उम्र में 2004 में सानिया मिर्जा को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। महज 18 साल की उम्र में 2006 में 'पद्मश्री' दिया गया। वो यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं। 2006 में ही सानिया को अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्लूटीए का 'मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर' चुना गया। सानिया को पूरे करियर में 50 लाख डॉलर (31.60 करोड़ रूपए) की पुरस्कार राशि मिल चुकी है।
सानिया के करियर की तरह उनकी लव स्टोरी और शादी की कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है। सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर शाएब मलिक की लव स्टोरी ने सभी के लिए एक मिसाल कायम की है। जब दोनों पड़ोसी देश एक दूसरे पर अपनी श्रेष्ठता साबित करने में व्यस्त थे, तभी इनकी रोमांस की खबर ने सबको चौंका दिया था।
हालांकि कई लोगों ने आपत्ति जताई और उनके प्यार को बढऩे से रोकने की कोशिश की लेकिन सानिया और शोएब के प्यार के आगे ये बातें मायने नहीं रखती थीं। दोनों ने 12 अप्रैल 2010 को शादी हैदराबाद में शादी की।
सानिया और शोएब की शादी का वक्त ऐसा था जब सभी ने खूब बातें बनाई थीं कि ये रिश्ता टिक नहीं पाएगा और इस शादी की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होगी। लेकिन इस खिलाड़ी जोड़ी ने इस साल अपने खूबसूरत बंधन के छह साल पूरे किए। सानिया मिर्जा ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘ऐस अगेन्स्ट ऑड्स’ में शोएब मलिक से मुलाकात और फिर शादी के बारे में जिक्र किया है।
किताब के अनुसार सानिया और शोएब साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार मिले और फिर कुछ मुलाकातों के बाद करीब आए। सानिया अपने पिता और ट्रेनर के साथ एक भारतीय रेस्टोरेंट में गई थीं। कुछ देर बाद वहां शोएब भी आए और दोनों पहली बार मिले। मुलाकात के दौरान शोएब ने अगले दिन सानिया का मैच देखने की इच्छा जताई। इस पर सानिया ने उनके लिए टिकटों का इंतजाम किया। हालांकि सानिया और शोएब इससे कुछ साल पहले दिल्ली में एक जिम में मिल चुके थे।
अगले दिन शोएब मलिक अपने दोस्तों के साथ मैच देखने पहुंचे। मैच के बाद सानिया के पिता ने उन्हें डिनर पर इनवाइट किया। ऑस्ट्रेलिया में अलग-अलग शहरों में मैचों के दौरान सानिया और शोएब संपर्क में रहे। सानिया ने बताया कि उन्हें शोएब की सादगी ने आकर्षित किया।
धीरे-धीरे हमारी मुलाकातें रोज होने लगी और महसूस किया कि हमारी अच्छी पटती है। दो महीने बाद शोएब ने शादी का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि कब होगी इससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन वो मुझसे शादी करना चाहते हैं।
शादी के बारे में सानिया ने लिखा कि इस मामले में वो थोड़ी पुराने ख्यालात की हैं। लंबे समय तक डेट करते रहना मुश्किल था। साथ ही हमारे रिश्तों को छुपाकर रखना भी मुश्किल हो रहा था। इसलिए जब शादी का एलान किया तो सभी चौंक गए।