जौनपुर। शहरीकरण तथा लोगों की जीवनशैली में बदलाव के कारण घरों के आंगन, गांवों तथा छतों पर चहकने वाली गौरैया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आगामी 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया गया।
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काशी हिंदू विश्व विद्यालय (बीएचयू) वाराणसी के समाज शास्त्र विभाग में एसोसियेट प्रोफेसर डॉ. आर एन त्रिपाठी ने आज यहां कहा है कि गौरैया का जीवन मानव जीवन को प्रेरणा देता है कि किस प्रकार से प्रसन्न भाव से परिवार ,समाज, राष्ट्र की सेवा करें। घरों में चहकने और फुदकने वाली गौरैया आज लुप्तप्राय हो गयी है, इसे बचाने और इसकी वृद्धि के लिए हमें आगे आना होगा।
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प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि शहरीकरण तथा लोगो की जीवनशैली में बदलाव के कारण घर-घर में, गांवों तथा छतों पर चहकने वाली गौरैया की संख्या में पिछले कुछ सालों में काफी कमी आई है। पहले घरों में रौशनदान, कच्चे मकानों के कडी, अटारी आदि में घोसला बनाती थी। जीवनशैली में बदलाव के कारण यह प्रजाति धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है। शहरों के बाहर खुले स्थल की कमी , बाग-बगीचों का कम होना एवं बढ़ती आबादी, शहरीकरण तथा वाहन प्रदूषण के कारण गौरैया की संख्या में कमी होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रकृति की अनमोल धरोहर गौरैया को बचाने के लिए घोसलों की व्यवस्था करनी होगी ,तभी इन्हे पुन: घर ,आंगन एवं छतों पर चहचहाती दिखाई पड़ेंगी।
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