पणजी। दक्षिण कोरियाई फिल्मों के निर्देशक किम जी वून ने कहा है कि वह चाहते हैं कि भारतीय फिल्मों के हास्य एवं वास्तविक जिंदगी की भावनाओं जैसे तत्वों को कोरियाई फिल्मों में भी शामिल किया जाए। वून ने 47वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) के समापन समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि वह चाहते हैं कि भारतीय सिनेमा के हास्य एवं वास्तविक जिंदगी की भावनाओं जैसे अन्य तत्वों को कोरियाई फिल्मों में भी शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि वह भारतीय सिनेमा के दिग्गज फिल्मकार सत्यजीत रे से काफी प्रभावित हैं और पाथेर पंचाली, अपराजिता और अन्य फिल्में उनके फिल्म निर्माण का अपना स्टाईल था।
उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि भारतीय फिल्म उद्योग के साथ उनका समझौता हो और दोनों देशों की आजादी के लिए संघर्ष और इतिहास पर फिल्में बननी चाहिए।
वून ने कहा कि उनकी फिल्मों में एक्शन और हिंसा को नहीं दर्शाया गया बल्कि जापान के कब्जे से कोरिया को आजादी दिलाने के लिए उन भावनाओं को प्रदर्शित किया गया। उन्होंने कहा कि इस शो को स्पेशल साउंड इफेक्ट और अभिनेताओं की क्षमता के माध्यम से स्क्रीन पर बेहतर भावनाओं को दिखाने का प्रयास किया है।
किम जी-वून कोरिया के महान फिल्मकारों में गिने जाते हैं। उनकी फिल्में नए-नए प्रयोग पर आधारित होती हैं जिसकी पूरे विश्व में प्रशंसा हुई है।‘द एज ऑफ शैडोज’को 89वीं एकेडमी अवार्ड में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेंज फिल्म श्रेणी के तहत दक्षिण कोरिया की तरफ से भेजा गया है।