नई दिल्ली. नई दिल्ली के नेताजी सुभाष चंद्र स्टेडियम में शाम साढ़े चार बजते-बजते नेट पर क्रिकेट की प्रेक्टिस करते शायान जमाल को देखने के लिए भीड़ जुट जाती है। भीड़ चौंकने वाली नजरों से जमाल के कवर ड्राइव, स्ट्रेट ड्राइव अैर फॉरवर्ड डिफेंस शॉट देखती रहती है। इसका कारण है कि शायान की उम्र। वह महज चार वर्ष का है लेकिन शॉट की ताकत अपने से उम्र में तीन गुने किसी भी खिलाड़ी जितनी।
शायान स्कूल की अंडर-12 टीम में वो अभी खेल रहा है। जबकि दिल्ली के ही एक क्रिकेट क्लब ने शायान को अंडर-14 में खेलने का ऑफर भी दिया है। उसकी बैटिंग के दीवाने इंटरनेशनल क्रिकेटर ईशांत शर्मा, पूर्व क्रिकेटर चेतन शर्मा और भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम के वर्तमान कप्तान ईशान किशन भी हैं। वे शायान के खेल को देखकर भविष्य का बल्लेबाज होने की बात भी कह चुके हैं। वैसे शायान खुद विराट कोहली के फेन हैं।
हाल ही में आईपीएल के फाइनल में जब विराट की टीम हारी तो शायान रो दिया।
शायान के पिता खुद दे रहे हैं कोचिंग
शायान को कोचिंग दे रहे हैं उनके 40 वर्षीय पिता अरशद जमाल। पिता और कोच अरशद कहते हैं कि अब तक जितने भी कोच ने शायान की बल्लेबाजी देखी है, उन्होंने कहा है कि यह आगे जाकर बहुत नाम कमाएगा। वो भारत के लिए खेलना चाहता है और इसकी बात वह अक्सर कहता है। बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए जमाल ने अपने कपड़ों का कारोबार तक दांव पर लगा दिया है। अरशद जमाल ने खुद क्लब स्तर पर क्रिकेट खेला है। वे बताते हैं कि शायान के पैदा होने के डेढ़ वर्ष बाद ही पहली बार हमें उसकी क्रिकेट के प्रति रुचि का पता चला। वह कार और अन्य खिलौने छोड़कर बल्ले से खेलता था।
शायान के पिता बताते हैं कि पहली बार दो वर्ष 10 महीने की उम्र में ही 60 दिन के लिए मैं उसे ट्रायल पर ले गया। वहां वह सुबह साढ़े पांच बजे से प्रेक्टिस शुरू कराता। इस दौरान मैंने इसकी बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग की प्रेक्टिस कराई। मैंने पाया कि वह आराम से ढाई से तीन घंटे क्रिकेट खेलने के बाद भी थकता नहीं है। खेल में रुचि दिखाने के साथ ही, और खेलने की भी बोलता है। फिर मैं इसे जसोला स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स लेकर आया और खुद ही इसे कोचिंग देना शुरू की। इसके लिए मैं अपनी कपड़े की शॉप को साढ़े तीन बजे ही बंद कर देता हूं।
बैटिंग और कवर ड्राइव हैं शायान के पसंदीदा शॉट
शायान को बैटिंग में कवर ड्राइव लगाना बेहद पसंद है। हाल ही में उसने एक पेंटिंग क्रिकेट के मैदान की बनाई है। शायान ने पूरे घर को ही क्रिकेट का छोटा सा मैदान बना दिया है। वह कमरे में दीवार पर गेंद मार कर कैच की प्रेक्टिस करता रहता है। जामिया नगर में रहने वाले अरशद बताते हैं कि उनके तीन बच्चों में शयान सबसे छोटा है। दो बड़ी बेटियां है जो 5वीं और तीसरी क्लास में पढ़ती हैं। एक क्लब से इसी वर्ष मई में एक मैच खेला था। वे कहते हैं कि भविष्य में आगे जाने के लिए शायान को पैसे की आवश्यकता पड़ेगी इसके लिए मैं अभी से बचत कर रहा हूं।
ऐसा है शायान का रूटीन
सुबह साढ़े पांच बजे उठने से शायान के दिन की शुरुआत होती है। वह छह बजे एक उबला अंडा और एक गिलास दूध पीकर हमदर्द पब्लिक स्कूल जाता है।स्कूल से आने और कोचिंग पर जाने के बीच के साढ़े तीन घंटे में वह स्कूल का होम वर्क करता है। फिर अगर किसी चैनल पर मैच आ रहा है तो वह मैच देखता है, नहीं तो कार्टून चैनल देखता है। डोरेमोन उसका पसंदीदा किरदार है। फिर चार बजे वह जसोला स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में नेट प्रेक्टिस के लिए पहुंच जाता है। वहां ढ़ाई-तीन घंटे तक कड़ी नेट प्रेक्टिस करता है। इस दौरान बैटिंग और फील्डिंग का विशेष प्रशिक्षण भी लेता है। सात बजे तक घर वापस आता है।
इंटर स्कूल कंपटीशन में खेलेगा शयान
शायान के स्कूल के क्रिकेट कोच अरुण कुमार ने बताया कि मैं पिछले तीन साल से स्कूल का कोच हूं मैंने अभी तक हमारे स्कूल के साथ ही दिल्ली के स्कूलों में भी अंडर-12 में इतना छोटा बच्चा खेलते नहीं देखा। शायान के खेल के बारे में अरुण कहते हैं कि वह क्रिकेट के प्रति बहुत सिंसियर है। जो भी बात और शॉट मैं उसे बोलता हूं एक ही बार में कर लेता है जबकि बड़े बच्चों को दो-तीन बार समझाना पड़ता है।कब विकेट पर कदम बढ़ाना है, कब कंधा नीचे करना है और सिर की पोजीशन कैसी रखनी है आदि हर बात का वह खेलते हुए अभी से ध्यान रखता है। वे कहते हैं कि बारिश के बाद इस बार होने वाले जोनल स्तर के इंटर स्कूल कंपटीशन में शायान को खिलाएंगे।