रावलपिंडी। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीआेके मामलों के विशेषज्ञ जनरल कमर जावेद बाजवा ने आज पाकिस्तान के नए सैन्य प्रमुख का पदभार संभाल लिया और नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण हालात को जल्द ही सुधारने का वादा किया। उन्होंने जनरल राहील शरीफ की जगह ली है।
जनरल राहील ने रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय जीएचक्यू के नजदीक स्थित आर्मी हॉकी स्टेडियम में आयोजित एक समारोह में सेना की कमान 57 वर्षीय बाजवा को सौंपी। सैन्यकर्मियों की संख्या के मामले में पाकिस्तान की सेना दुनिया की छठी सबसे बड़ी सेना है।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार को बाजवा को चार सितारा जनरल के तौर पर पदोन्नत कर सैन्य प्रमुख नियुक्त किया। राहील ने जनवरी में घोषणा की थी कि वह सेवा विस्तार नहीं लेंगे और निर्धारित तारीख को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
यह अटकलें थी कि पीएमएल-एन की सरकार अंतिम समय में उन्हें सेवा विस्तार दे देगी और इसके पीछे यह तर्क दिया जाएगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में देश को उनकी जरूरत है। पाकिस्तान में सैन्य प्रमुख काफी शक्तिशाली होता है। राहील से सीओएएस का प्रभार लेने के बाद बाजवा ने संवाददाताओं से बात की। जियो न्यूज ने उनके हवाले से बताया, नियंत्रण रेखा पर स्थिति बेहतर होगी।
बाजवा ने सैनिकों का मनोबल उंचा रखने के लिए मीडिया से भूमिका निभाने में सहयोग मांगा है। उन्होंने कहा कि उनके कंधों पर भारी जिम्मेदारी है। बाजवा ने इस छावनी शहर में सेना की कमान संभाली जहां निवर्तमान सैन्य प्रमुख राहील ने एक समारोह में उन्हें कमान सौंपी। नियंत्रण रेखा पर बढ़ते तनाव और दोनों ओर से भारी गोलीबारी के बीच उनकी नियुक्ति हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नियंत्रण रेखा पर हालात में सुधार होने संबंधी बाजवा की घोषणा भारत के प्रति संबंध सुधारने का रूख हो सकता है।हालांकि, जनरल राहील सेना प्रमुख के तौर पर अपने आखिरी भाषण में स्थिति का हल तलाशतेे नहीं नजर आए क्योंकि उन्होंने भारत को कश्मीर के खिलाफ आक्रामक रूख अख्तियार करने के प्रति आगाह किया।
राहील 60 ने कहा कि हाल के महीनों में कश्मीर में भारत के बढ़ते आतंक और आकम्रक रूख ने क्षेत्र को खतरे में डाल दिया है। राहील ने कहा कि भारत को यह पता होना चाहिए कि संयम की हमारी नीति को हमारी कमजोरी समझना खतरनाक होगा।
उन्होंने कहा, यह वास्तविकता है कि दक्षिण एशिया में कश्मीर मुद्दा का हल होने तक दीर्घकालिक शांति और प्रगति कायम होना असंभव है। इसके लिए इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खास ध्यान देना होगा।
जनरल राहील शरीफ ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र की प्रगति के लिए संस्थानों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, बाहरी और आतंरिक खतरों से निबटने के लिए सभी संस्थानों को मिलकर काम करने की जरूरत है। इसके लिए हमें राष्ट्रीय कार्ययोजना का अक्षरश पालन करना होगा।
उन्होंने कहा, सेना को खतरों के प्रति सतर्क रहना होगा, चाहे वह बाहरी हो या आंतरिक। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अमन की खातिर मुद्दों का हल राजनीतिक तरीकों से निकालना होगा।
उनके मुताबिक क्षेत्र में अमन सुनिश्चित करने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा एक प्रमुख कारक है। राहील ने कहा, ‘‘ग्वादर बंदरगाह से पहला कार्गो रवाना हो चुका है और यह इस बात का संकेत है कि अब यह यात्रा नहीं रोकी जा सकती।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, अब समय आ गया है कि सीपीईसी के दुश्मन इसके खिलाफ काम करना बंद कर दें और इसका हिस्सा बन जाएं। बाजवा सेना प्रमुख बनने से पहले प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन महानिनिरीक्षक थे और सेना की सबसे बड़ी 10वीं कोर की कमान भी उनके पास थी जो नियंत्रण रेखा से जुड़े इलाके के लिए जिम्मेदार है। पीआेके और उत्तरी इलाकों के साथ व्यापक रूप से जुड़े रहने के चलते उन्हें एलओसी मामलों का व्यापक अनुभव है।
खबरों के मुताबिक लोकतंत्र समर्थक रहने की बाजवा की खासियत और चर्चा से दूर रहने ने प्रधानमंत्री को उन्हें इस शक्तिशाली पद पर नियुक्त करने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटेन से आजादी के बाद पाकिस्तान के करीब 70 साल के इतिहास में सेना ने करीब आधे समय तक शासन की बागडोर संभाली है।