हवाना। क्यूबा के क्रांतिकारी नेता और पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का शनिवार को निधन हो गया। वह 90 साल के थे। स्थानीय टेलिविजन और एजेंसियों ने उनके भाई राउल कास्त्रो के हवाले से फिदेल के निधन की पुष्टि की। राउल कास्त्रो ने मीडिया को बताया कि शनिवार को फिदेल कास्त्रो का अंतिम संस्कार किया जाएगा। गौरतलब है कि अगस्त में 90 साल पूरे करने वाले फिदेल कास्त्रो बीते 10 साल से स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से सत्ता से दूर थे। उनकी जगह भाई राउल कास्त्रो सत्ता संभाल रहे हैं।
फिदेल कास्त्रो क्यूबा क्रांति के प्रमुख नेता माने जाते हैं। फिदेल साल 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री रहे थे। इसके बाद वह क्यूबा के राष्ट्रपति बने। उन्होंने फरवरी 2008 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उन्होंने साल 2006 में ही अपने भाई को सत्ता हस्तांतरण कर दिया था। फिदेल कास्त्रो क्यूबा की क्रांति के जरिए ही फुल्गेंकियो बतिस्ता की तानाशाही को उखाड़ फेंक सत्ता में आए थे और उसके कुछ समय बाद ही क्यूबा के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद से ही फिदेल कास्त्रो अमेरिका के निशाने पर थे। फुल्गेंकियो बतिस्ता को अमेरिका समर्थित नेता माना जाता था। आधी शताब्दी तक क्यूबा पर राज करने वाले फिदेल कास्त्रो को सबसे बड़े कम्युनिस्ट नेताओं में शामिल किया जाता था।
शीतयुद्ध के दौरान सोवियत सेना को अमेरिका के खिलाफ अपनी सीमा में मिसाइल तैनात करने की मंजूरी देकर फिदेल कास्त्रो दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गए थे। 1959 से 2008 तक क्यूबा की सत्ता पर काबिज रहे फिदेल कास्त्रो को लेकर कहा जाता है कि अमेरिका ने उन्हें 638 बार मारने की कोशिश की थी। कास्त्रो को 49 साल के राजनीतिक सफर के दौरान उनकी सुरक्षा करने वाले फैबियन ऐस्कलांटे ने यह दावा किया था।
फैबियन ने बताया था कि अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) ने 638 बार कास्त्रो को अलग-अलग तरह से मारने की कोशिश की थी। इसमें सिगार में ब्लास्ट करने से लेकर जहरीले फाउंटेन पेन का इस्तेमाल करना तक शामिल था। अधिकतर प्रयास 1960 के दशक में किए गए थे। इनमें से कुछ कोशिश ऑपरेशन मॉन्गूज का हिस्सा थी। जिसका मकसद क्यूबा की सरकार गिराना था।