तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और दुनिया के साथ अपने देश के संबंधों का पुनर्निर्माण करने और ठहरे आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के उनके प्रयासों पर फैसला सुनाने के लिए मतदान केंद्रों पर आज ईरानियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
तेहरान में उत्सव जैसा माहौल था। 68 वर्षीय उदारवादी धर्मगुर रूहानी ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 में ईरान का परमाणु समझौता कराया था।
जब वह सिटी सेंटर में एक मस्जिद मे अपना मत डालने पहुंचे तो उनके समर्थक उनका अभिवादन करने के लिए उमड़ पड़े।
उन्होंने कहा कि चुनाव में ईरानियों की उत्साह के साथ भागीदारी हमारी राष्ट्रीय शक्ति और सुरक्षा को पुष्ट करता है।
मतदान केंद्रों से खबरें आईं कि सुबह मतदान केंद्रों पर लोगों की कतार सामान्य से लंबी थी।
रूहानी ने चुनाव को महती नागरिक स्वतंत्रता और ‘उग्रवाद’ के बीच चयन का रूप दे दिया है। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रूहानी के सामने कट्टरपंथी धर्मगुरू रईसी 56 की कड़ी चुनौती है जिन्होंने स्वयं को गरीबों के रक्षक के रूप में पेश किया है और पश्चिम के खिलाफ कड़ा रख अपनाए जाने की अपील की है।
रईसी ने दक्षिणी तेहरान में मतदान करने के बाद कहा, ‘‘हम सबको लोगों के मतों का सम्मान करना चाहिए।’’
रईसी ने भारी बेरोजगारी और मितव्ययिता के कदमों से प्रभावित कामगार वर्ग को लक्षित किया है। इसके साथ ही उन्होंने उन लोगों को भी लक्षित किया है जिन्हें चिंता है कि 1979 की क्रांति के मूल्यों को खतरा है।
रईसी समर्थक 32 वर्षीय मोहसिन ने कहा कि उनका मुख्य जोर वंचित लोगों पर है और वह भ्रष्टाचार से लडऩा चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा देश दुश्मनों से घिरा है। अगर हम अपनी घरेलू स्थिति को मजबूत नहीं बनाते हैं, तो हमें नुकसान होगा।
रूहानी की मुख्य उपलब्धि अमेरिका के नेतृत्व वाली छह विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौता कराना है, जिसके तहत ईरान के अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के बदले में उसपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी गई।
रईसी ने कहा कि वह वर्ष 2015 में वैश्विक शक्तियों के साथ किए गए परमाणु समझौते का पालन करेंगे जिसके तहत प्रतिबंधों में राहत के बदले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रोक की बात की गई है लेकिन उन्होंने निरंतर आर्थिक मंदी का जिक्र करते हुए कहा कि यह इस बात का सबूत है कि रूहानी के राजनयिक प्रयास विफल रहे हैं।
उन्होंने पवित्र शहर मशहद में बुधवार को अंतिम रैली में कहा कि समस्याओं को सुलझाने के लिए हमारे युवकों के सक्षम हाथों का इस्तेमाल करने के बजाए वे विदेशियों के हाथों में हमारी अर्थव्यवस्था को सौंप रहे हैं।
इसके जवाब में रूहानी ने मतदाताओं से अपील की कि वे कट्टरपंथियों को ईरान के नाजुक राजनयिक मामलों से दूर रखें।
रूहानी ने अपनी मशहद रैली में कहा कि राष्ट्रपति के एक गलत फैसले से युद्ध छिड़ सकता है और एक सही निर्णय से शांति आ सकती है।
यह चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब अमेरिका और ईरान के संबंधों में तनाव पैदा हो गया है।
रूहानी को बुधवार को उस समय राहत मिली जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने परमाणु संबंधी प्रतिबंधों को हटाने का समझौता फिलहाल लागू रखने पर सहमति जताई।
लेकिन ट्रंप ने समझौते की 90 दिवसीय समीक्षा शुरू की है जिसके बाद समझौते को रद्द भी किया जा सकता है और ट्रंप ईरान के कट्टर क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी सउदी अरब से इस सप्ताहांत मुलाकात कर रहे हैं।