मराकेश। भारत ने रविवार को कहा कि इसने यहां अहम जलवायु परिर्वतन सम्मेलन में रचनात्मक भागीदारी की है ताकि इस सिलसिले में कार्रवाई समानता और जलवायु न्याय के सिद्धांतों पर आधारित हो।
पिछले एक साल में बनी गति पर शुक्रवार को मराकेश जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विश्व के देश पेरिस समझौते को 2018 तक लागू करने को लेकर नियमों को अंतिम रूप देने के लिए सहमत हुए।
भारत ने कहा कि विकासशील देशों के सहयोग से यह सुनिश्चित हो सका है कि जलवायु कार्रवाई समानता और अलग-अलग जिम्मेदादियों सीबीडीआर तथा जलवायु न्याय के सिद्धांतों पर आधारित हो।
यह सम्मेलन 18 नवंबर को संपन्न हुआ जिसका मुख्य जोर पेरिस समझौते को क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाने और 2020 पूर्व कार्रवाइयों पर काम आगे बढ़ाने पर रहा।
पर्यावरण मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, ‘‘पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के नेतृत्व में भारत ने विकासशील देशों के सहयोग से रचनात्मक भागीदारी की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जलवायु कार्रवाई समानता और सीबीडीआर तथा जलवायु न्याय पर आधारित हो।’’
इसने कहा है कि पेरिस समझौता विकसित और विकासशील देशों के लिए अलग...अलग जिम्मेदारियों को मान्यता देता है और सम्मेलन का मौजूदा दौर इसे अलुकूलन, प्रभाव कम करने, वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण और पारदर्शिता ढांचों से जुड़े नियमों को क्रियान्वित करने पर केंद्रित रहा।
दो हफ्तों की वार्ता के बाद, सम्मेलन में इस बात का भी जिक्र किया गया कि विकसित देशों की ओर से फौरन कार्रवाई किए जाने की जरूरत है ताकि उत्सर्जन कटौती क्योतो प्रोटोकॉल में मौजूद प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हो सके, जिसके 2020 में समाप्त होने में चार साल बाकी है।
पिछले साल दिसंबर में पेरिस समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। यह साल भर से भी कम समय में लागू हो गया और सम्मेलन ने भी इसका स्वागत किया है।
पेरिस समझौते से डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार के हट जाने की अटकलों से जुड़ी खबरों के बीच सम्मेलन में एक दस्तावेज पारित किया गया, जिसमें सभी देश प्रगति की समीक्षा के लिए 2017 में एक बार फिर से बैठक करने को राजी हुए।
सम्मेलन में ‘मराकेश कार्रवाई घोषणा’ नाम एक एक राजनीतिक आह्वान किया गया।
भारत ने आज कहा कि उसने सम्मेलन में 2020 पूर्व कार्रवाइयों पर प्रोत्साहन वार्ता में भागीदारी की और कई समयबद्ध कार्रवाइयों का जिक्र किया, जो उत्सर्जन अंतराल को पाटने के लिए किया जा सकता है और विकासशील देशों को सहयोग बढ़ाया जा सकता है।
भारत ने कहा कि इसका पेवेलियन आकर्षण का केंद्र रहा और काफी सराहना बटोरी।
हालांकि, भारत के जलवायु विशेषज्ञों ने कहा कि सम्मेलन कृषि, वित्त, अनुकूलन, प्रभाव कम करने और 2020 पूर्व कार्रवाइयों सहित एजेंडा के महत्वपूर्ण विषयों में बगैर कोई सफलता हासिल किए खत्म हुआ।
सीएसई के उप महा निदेशक चंद्र भूषण ने कहा कि जहां तक भारत की बात है तो कृषि, अनुकूलन और नुकसान सहित गरीबों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर देश का कोई स्पष्ट रुख नहीं है।
भूषण ने कहा कि अपने गरीबों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा में भारत ने ज्यादा योगदान नहीं दिया।