लंदन। पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के नेता शबीर चौधरी ने कश्मीर नेशनल पार्टी से इस्तीफा देते हुए जोर दिया कि वह ‘‘आईएसआई और उनकी कठपुतलियों’’ के समक्ष घुटने नहीं टेकेंगे।
ब्रिटेन में रहने वाले चौधरी ने संयुक्त और स्वतंत्र कश्मीर के लिए अपना संघर्ष 1973 में शुरू किया तथा कश्मीर युवा आंदोलन खड़ा करने में मदद की।
बाद में 1977 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जेकेएलएफ के गठन में मदद की और उसके महासचिव तथा अध्यक्ष भी रहे।
जेकेएलएफ के साथ गंभीर मतभेदों के बाद चौधरी और उनके अन्य सहकर्मियों ने पार्टी छोडक़र नए दल कश्मीर नेशनल पार्टी केएनपी का गठन किया।
उन्होंने एक विज्ञप्ति में कहा, उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है और उनका केएनपी तथा उसके फैसलों से कोई लेनादेना नहीं है।
हालांकि उन्होंने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में कब्जा, आतंकवाद, चरमपंथ और धार्मिक असहिष्णुता के विरूद्ध वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
चौधरी ने कहा, ‘‘केएनपी से इस्तीफे का अर्थ यह नहीं है कि अन्याय के खिलाफ मेरी लड़ाई खत्म हो गई है और उत्पीडऩ खत्म हो गया है, या फिर मैं आईएसआई और उसकी कठपुतलियों के खिलाफ घुटने टेक दूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आईएसआई और पाकिस्तान के साथ मेरा मुद्दा सिर्फ पहचानपत्र से जुड़ा हुआ नहीं है, उन्होंने मेरी मातृभूमि पर कब्जा किया है। मैं चाहता हूं कि यह कब्जा समाप्त हो। मैं पाकिस्तान में प्रवेश किए बगैर अपने गांव नहीं जा सकता। पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर पर पाकिस्तान ने जो प्रणाली थोपी है, उसमें बैंक खाते के लिए पहचानपत्र की जरूरत है।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘सभी को इस पहचानपत्र की जरूरत है। पुलिस मुझे कहीं भी रोक सकती है, और यदि मैं पहचानपत्र नहीं देता तो मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है। अभी भी कुछ बेवकूफ पूछते हैं कि आपको पाकिस्तानी पहचापनत्र की जरूरत क्यों है। मुझे पाकिस्तानी पहचानपत्र नहीं चाहिए। मुझे कश्मीरी कार्ड चाहिए और उसके लिए पाकिस्तान को अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर घर चले जाना चाहिए।’’