प्राचीन काल में तो सभी ब्राह्मणों द्वारा अपने सिर पर चोटी रखी जाती थी। धीरे-धीरे ये प्रथा कम हुई है, आज की युवा पीढ़ी इसे रूढ़ीवादी सोच मानती है और इसी कारण आज बहुत कम पुरूष सिर पर चोटी रखते हैं। आपको बता दें कि ये कोई रूढ़ीवादिता नहीं है। पुरूषों द्वारा सिर के बीच में चोटी रखा जाना धार्मिक मान्यता को तो दर्शाता ही है इसके साथ ही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं आइए आपको बताते हैं इसके बारे में...
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सिर में सहस्रार के स्थान पर चोटी रखी जाती है अर्थात सिर के सभी बालों को काटकर बीचोबीच के स्थान के बाल को छोड़ दिया जाता है।
इस स्थान के ठीक 2 से 3 इंच नीचे आत्मा का स्थान है, भौतिक विज्ञान के अनुसार यह मस्तिष्क का केंद्र है।
विज्ञान के अनुसार यह शरीर के अंगों, बुद्धि और मन को नियंत्रित करने का स्थान भी है। इस स्थान पर चोटी रखने से मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है।
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शिखा रखने से इस सहस्रार चक्र को जागृत करने और शरीर, बुद्धि व मन पर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सहस्रार चक्र का आकार गाय के खुर के समान होता है इसीलिए चोटी का आकार भी गाय के खुर के बराबर ही रखा जाता है।
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