धर्म डेस्क। कामिका एकादशी का व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है, अगर कोई व्यक्ति ब्रह्म हत्या जैसे महापाप का दोषी हो तो वो भी कामिका एकादशी का व्रत करने से इस पाप से छूटकर पा लेता है । कब से शुरू हुआ कामिका एकादशी का व्रत और क्या है इसकी कथा, आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.....

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक गांव में एक क्षत्रिय और ब्राह्मण की किसी बात को लेकर हाथापाई हो गई। दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि क्षत्रिय ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। बाद में क्षत्रिय को बहुत पश्चाताप हुआ और उसने उस ब्राह्मण की अंतिम क्रिया अपने हाथों से करने का विचार किया। जब उसने ये बात गांव के अन्य लोगों को बताई तो सभी ने उसे ऐसा करने से रोका। गांव के अन्य पंड़ितों ने कहा कि उनके बहुत बड़ा पाप किया है और इस पाप से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है।

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म हत्या का पाप महापाप माना जाता है और क्षत्रिय ने ये महापाप किया है। इसके बाद उस क्षत्रिय ने उन ब्राह्मणों से पूछ की उसे इस महापाप से कैसे छुटकारा मिलेगा तो ब्राह्मणों ने कहा कि सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी जिसे कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है के दिन अगर तुम पूरी निष्ठा से श्री हरी विष्णु की पूजा और व्रत करोगे तो तुम्हे इस महापाप से छुटकारा मिलेगा। उस क्षत्रिय ने ब्राह्मणों की बात मानकर कामिका एकादशी का व्रत और पूजन किया जिसके बाद वह ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से मुक्त हुआ।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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