जानिए हिंन्दू धर्म ग्रंथो में मान्यता के बाद भी क्यों नहीं जाने दिया जाता महिलाओं को श्मशान घाट

Samachar Jagat | Friday, 22 Jul 2016 02:58:00 PM
Know why the Hindu religious texts are given in recognition to women after cremation

अक्सर यह देखा गया है कि जब भी किसी घर में व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस घर से महिलाएं ना तो शव यात्रा में शामिल होती है ना ही श्मशान घाट जाती है, जहां शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि महिलाओं को इसमें क्यूं नहीं शामिल किया जाता? जबकि हिंदू धर्म ग्रथों में ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है कि महिलाओं का श्मशान भूमि में जाना वर्जित है। ना ही ऐसा कहीं उल्लेख किया गया है कि वह किसी मृतक परिजन का अंतिम संस्कार नहीं कर सकती। हिंदू ग्रंथो में इसकी पूरी आजादी महिलाओं को दी गई है। हिंदू ग्रंथो में महिलाओं को जनेऊ पहनाने और गायत्री मंत्र के जाप तक का पूरा अधिकार दिया गया है। फिर भी ऐसे कुछ कारणो के चलते महिलाओं और बच्चों को श्मशान भूमि में जाने से रोका जाता है।

जानिए ऐसे कारण जो महिलाओं को श्मशान भूमि में जाने से रोकते है-

जब भी किसी व्यक्ति की मौत होती है तो शव के घर से निकलते ही पूरे घर आंगन को साफ सुथरा करते हुए धोया जाता है। फिर खाने पीने के सामान तैयार किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि घर में कोई नकारात्मक शक्ति नहीं रह सके। इन्हीं सभी कामों को करने के लिए महिलाओं का घर में रहना जरूरी होता है।

महिलाएं पुरुषो के मुताबिक कमजोर ह्दय वाली होती है। अंतिम संस्कार करते समय मृत शरीर कई बार अकड़ने की आवाजें करता हुआ जलता है जिससे उन्हें डर लग सकता है। इसके अलावा वहां पर मृतक की कपाल क्रिया की जाती है जिसका दृश्य वाकई में भयभीत कर देने वाला होता है। ये दृश्य किसी को भी डरा सकती है।

श्मशान से लौटने के बाद पुरुषों के पैर धुलाने तथा स्नान कराने के लिए घर में महिला पहले से ही साफ सुथरी और शुद्ध हो जाती हैं।

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इस पर ज्यादातर लोग विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन जो सुपरनेचुरल पावर पर विश्वास करते हैं, उनके अनुसार श्मशान में आत्माओं का वास होता है। और इन भटकती आत्माओं तथा भूत प्रेतों से महिलाओं में सबसे ज्यादा खतरा होता है। ऐसा कहा जाता है कि बुरी आत्माएं वर्जिन महिलाओं को निशाना बनाती हैं। यूं कहे की जो महिलाएं शारीरिक रुप से शुद्ध और पवित्र रहती हैं उन पर सुपरनेचुरल पावर का प्रहार जल्दी होता है।

 हिंदू रीति रिवाजों के अंतर्गत अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले परिवार के सदस्यों को अपने बाल मुंडवाने होते हैं। इस प्रथा से महिलाएं दूर रहें इसलिये उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं है।

अंतिम संस्कार करते समय शोक का माहौल होता है। उस समय लोग विलाप करते है। महिलाओं का दिल लड़कों की अपेक्षा कम कठोर होता है। इसलिए महिलाओं और बच्चों का यहां जाने से रोका जाता है।

कहा जाता है कि अगर कोई श्मशान घाट पर रोता है तो मरने वाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती। अगर इस कार्य में महिलाएं शामिल होगी तो निश्चित ही रोएंगी इसलिए भी इन्हें अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया जाता है।

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