शास्त्रों के अनुसार सुर्य आत्मा का कारक होता है। नियमित रुप से सुर्य को जल देने से आत्म शुध्दि और आत्मबल तो प्राप्त होता ही है साथ ही आरोग्य लाभ की प्राप्ति भी होती है।
सूर्य को अर्घ्य तांबे के किसी पात्र में जल में एक चुटकी रोली, चंदन हल्दी अक्षत व लाल पुष्प डालकर गायत्री मंत्र का उच्चारम करते हुए सूर्यदेव को प्रतिदिन 12 लोटा जल दें। सूर्य को नियमित जल का अर्ध्य देनें से प्रतिष्ठा, सरकारी पद, सामाजिक प्रतिष्ठा में वृध्दि होती है।
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चंद्र को अर्घ्य देना- चंद्र को हमेशा चांदी के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए। संध्याकाल में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देना काफी लाभप्रद सिध्द होता है। इससे अंदर के सभी बूरे विचार, दुर्भावना, असुरक्षा की भावना व माता पिता के स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।
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तुलसी के पेड़ को अर्घ्य देना- भारतीय घर में तुलसी आंगन की शोभा है और विष्णु भगवान की प्रिया भी है। तुलसी में जल का अर्ध्य देने से घर की दरिद्रता का विनाश होता है। विवाह में उत्पन्न बाधाओं को भी दूर करता है।
पीपले के पेड़ में अर्घ्य देना- व्यक्ति अपनें ग्रहों की बाधा को दूर करनें के लिए नियमित रुप से पीपल के पेड़ को अर्ध्य देना चाहिए।
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