सफलता का अचूक मंत्र, लक्ष्य पर रखे पैनी नजर

Samachar Jagat | Saturday, 25 Mar 2017 11:36:07 AM
A perfect mantra of success, keeping your eyes fixed on the goal

पांच  मेढको ने एक बार निर्णय किया की चलो आज गिरनार पर्वत चढ़ते है, जहां पर श्री गुरुदत जी बिराजते हे म् अब बात यह की मेंढक इतना ऊंचे पर्वत की शिखर तक पहुंच कैसे पाएंगे। अब ये देखने के लिए सारे पशु-पक्षी, जीवजंतु सब इक्कट्ठे हो गए। कई लोगो ने समझाया उन मेंढकों को के रहने दो ये तुम्हारे बस की बात नही हे, लेकिन इन पांचो ने पूरे विश्वास से तय कर ही लिया था की आज तो शिखर पर पहुंचना ही है।

अब पांचो ने यात्रा शुरू की, छलांग लगाते-लगाते कूद कर एक के बाद एक सीढ़ी चढऩे लगे। चढ़ते-चढ़ते ये पांचों मेढक पर्वत की अंबाजी शिखर तक पहुंचे, वहां तक पहुंचने तक सब की सांस चढ़ गई थी सब हांफ रहे थे। तब वहा उनकी बिरादरी के कुछ लोगो ने उन्हें समझाया की रहने दो ये हमारे बस की बात नही हैं, बिना वजह की जान गवानी पड़ेगी और उनकी बात सुनकर एक मेढक़ ने वहा से आगे नही जाने का फैसला किया।

अब बाकि चारों कूदते-कूदते पर्वत के गोरखनाथ शिखर तक पहुंचे और वहां तक पहुंचने तक सब जोर जोर से हा$फ रहे थे। वहां पर भी कुछ बिरादरी वालो ने समझाया की रहने दो यह हमारे बस की बात नही हैं और ऐसे करते करते आखिर में एक ही मेढक़ रहता है और पर्वत की आखिरी शिखर तक पहुंच जाता है। 

वो बुरी तरह से हा$फ रहा था और पहुंचने की खुशी में आंख से आंसू आ गए और वहां गुरुदत के चरणों में प्रणाम करके वापस आ गया। अब सभी लोग जो देखने आये थे सब को आश्चर्यचकित हो गया की एक मेढक़ इतने ऊंचे पर्वत के शिखर तक पंहुचा सारे गांव वाले उनका स्वागत करने के लिए आए।

तभी लोगो ने उस मेढक़ से पूछा की यह कैसे किया तुमने लेकिन मेढक़ कुछ भी नही बोला। सब ने फिर भी कितनी बार पूछा लेकिन मेढक़ कुछ भी नही बोला तभी उन स्वागत करने वालों में उस मेढक़ का बेटा भी आया हुआ था। फिर किसी ने उसके बेटे से पूछा की तुमारे पिताजी कुछ बोल क्यों नही रहे हैं ? तब उसने कहा की वो तो बेहरे हैं।

इस कहानी का भावार्थ यह है की अगर हमें अपने कल्याण, समाज के कल्याण के लिए और प्रसन्नता से जीना हे तो लोग हमें कुछ भी कहे हमारी निंदा करे या हमारी स्तुति करे। हमें इन सब बातो पर ध्यान नही देना चाहिए।



 

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