थोड़ी सी सावधानी बरतें जीवन भर खुशहाल रहें

Samachar Jagat | Tuesday, 17 Jan 2017 11:53:39 AM
Be careful little life joyful

सर्विक्स या गर्भाशय के मुंह का कैंसर आजकल कम उम्र की महिलाओं और लड़कियों में भी देखने को मिल रहा है। कम उम्र में यौन संबंधों के कारण आजकल नाबालिग लड़कियां भी सर्विक्स कैंसर की चपेट में आ रही हैं। सर्विक्स कैंसर ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एच.पी.वी.) की वजह से होता है। 

यह वायरस पुरुषों से महिलाओं में स्थानांतरित हो जाता है। सामान्य सैक्स संबंध में यह वायरस अधिक सक्रिय नहीं होता, लेकिन जो महिलाएं सेक्सुली अधिक एक्टिव होती हैं, उनमें एचपीवी सर्विक्स कैंसर का कारण बन जाता है। कम उम्र में यौन संबंध बनाने, अनेक साथियों से शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण भी स्त्रियां इस बीमारी की चपेट में आती हैं। यह महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्या है। इस कैंसर से जुड़े कारणों व तथ्यों पर यदि शुरुआत से ध्यान दे दिया जाए तो इसे रोका जा सकता है।

क्यों आती हैं महिलाएं वायरस की चपेट में
महिलाओं में इस कैंसर के लक्षण आमतौर पर 30 से 35 साल की उम्र से 40 से 45 की उम्र तक हो सकते हैं। इस कैंसर की वजह मुख्यत: साफ-सुथरा न रहना, प्रजनन अंगों की सफाई का ध्यान न रखना। जिन महिलाओं के एक से अधिक पुरुषों के साथ संबंध होते हैं, उन्हें भी सर्विक्स कैंसर हो सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका लक्षण प्रकट नहीं होता। आम संक्रमण के समान ही जननांग से सफेद स्त्रव व खुजली जैसा मामूली लक्षण प्रकट होता है जिस पर महिलाएं अक्सर ध्यान नहीं देती।

 पैटिसिमियर व बायोप्सी टेस्ट के जरिए इसका पता लगाया जाता है। जिस तरह एड्स के एचआईवी कारक होते हैं, वैसे ही सर्विक्स कैंसर के संक्रमण में एचपीवी यानी ह्यूमन पैपीलोमा वायरस की प्रमुख भूमिका होती है। जिन लड़कियों की कम उम्र में शादी होती है उनके प्रजनन अंग अपरिपक्व होते हैं, पर वे लगातार गर्भवती होती रहती हैं। इससे उनके शरीर की प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाती है और इन्$फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।

डॉक्टर से परामर्श लें
*सबसे ज्यादा आम होता है एचपीवी टाइप-16, जो महिलाओं में गर्भाशय कैंसर को 80 से 90 प्रतिशत तक प्रभावित करता है।

*विवाहित और उम्र 30 या उससे अधिक हो।
*वेजाइना से असामान्य स्त्रव, अनियमित माहवारी, सेक्स संबंधों के दौरान दर्द, जलन, छूने पर खून आना आदि।
*आमतौर पर कैंसर तेजी से फैलता है, लेकिन इन लक्षणों के बावजूद सर्विक्स कैंसर बनने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। जब भी लक्षण नजर आए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। समय से इलाज न होने पर कैंसर बन सकता है। यदि शुरू से ही बचाव कर लिया जाए तो उपचार करके इससे बचा जा सकता है।

उपचार
इसके लिए उसी समय पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए। इसमें गर्भाशय से पैप लेकर उसका स्मीयर करते हैं। पैप स्मीयर से वायरस डीएनए अणु की संख्या पीसीआर मशीन में बढ़ाते हैं जिससे कैंसर की पहचान होती है।

गर्भाशय मुख का कैंसर अगर अंतिम पायदान पर है तो सजर्री, कीमोथेरेपी, रेडियो थेरेपी से इलाज संभव है, लेकिन वायरस से होने वाले कैंसर की चरम अवस्था में बचाव का कोई तरीका नहीं है। गर्भाशय मुख के वायरस को समाप्त करने का एक ही तरीका माना जा रहा है वैक्सीन। 

यदि शुरू में ही महिला को वैक्सीन दे दी जाए तो बीमारी पनपेगी नहीं। यह एकमात्र ऐसा कैंसर है जिसका टीका बाजार में उपलब्ध है। कम उम्र में टीका ले लेने से इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। 10 वर्ष से लेकर 45 वर्ष तक की उम्र तक टीका लिया जा सकता है। 

सर्विक्स कैंसर से रोकथाम के लिए महिलाओं को नियमित स्क्रीनिंग कराने की जरूरत है। सावधानी बरत कर इसे रोका जा सकता है, लेकिन जागरूकता के अभाव में हमारे देश में तेजी से यह बीमारी अपने पैर पसारती जा रही है। महिलाओं को चाहिए कि सही समय पर सही जांच करवाएं और इस बीमारी से बचें।

बचाव
कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने से करें परहेज, एक से अधिक साथी से संबंध न बनाएं। किसी भी युवती के संक्रमण होने पर तुरंत डाक्टर से मिलें।

हर सात मिनट पर होती है एक महिला की मौत सर्विक्स कैंसर से
सर्विक्स यानी गर्भाशय मुख का कैंसर ना केवल भारतीय महिलाओं, बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया की महिलाओं में पहला स्थान बनाए हुए है। पूरी दुनिया की महिलाओं में 494 हजार केस गर्भाशय मुख कैंसर के हर साल दर्ज होते हैं जिनमें 274 हजार की मृत्यु हो जाती है। भारत में 1.2 लाख गर्भाशय कैंसर के हर साल नए केस दर्ज होते हैं जिसमें से 50 हजार की मृत्यु हो जाती है। भारत में हर सात मिनट पर एक महिला की मौत सर्विक्स कैंसर से होती है।



 

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