खुद के बारे अगर जानना हैं ये 5 बातें तो  अकेले रहने पर ही जान पाएंगे आप 

Samachar Jagat | Saturday, 02 Jul 2016 01:09:59
if you want to know These 5 things  about yourself  live alone

बचपन में भाई-बहनों के साथ, कॉलेज के हॉस्टल में रूम मेट के साथ और नौकरी के शुरुआती दिनों में 3-4 फ्लैटमेट्स के बाद फाइनली जब आप अकेले किसी फ्लैट में शिफ्ट होंगे, तो हो सकता है कि शुरुआत में आपको अकेलेपन का एहसास हो। लेकिन धीरे-धीरे यह पसंद आने लगेगा।

अकेले रहने पर अच्छा लगना लाज़मी है क्योंकि रिमोट से लेकर काउच तक और बेफिक्र होकर डांस करने से लेकर घर का इंटीरियर अपने हिसाब से डिजाइन करने तक की आज़ादी जो मिल जाती है।  

बचपन से लेकर टीनएज तक और फिर ग्रैजुएड होने से लेकर फ्रेशर तक के हर स्टेज में आप लोगों से घिरे होते हैं, उनके हिसाब से एडजस्टमेंट करना पड़ता है, प्राइवेसी की बात तो छोड़ ही दीजिए, खुद के बारे में भी ज्यादा सोचने का मौका नहीं मिलता। 

लेकिन जब आप अकेले रहते हैं तो आपको खुद को 'डिस्कवर' करने का मौका मिलता है। आप अपनी पर्सनैलिटी के बारे में वो बातें जानते हैं, जिसका दुनिया को तो क्या, आपको खुद कभी एहसास नहीं हुआ।

1. आप अपनी सोच से भी ज्यादा लापरवाह या अनुशासित हैं


जब हम रूममेट्स के साथ होते हैं तो कभी बंधे नियम के कारण तो कभी दूसरों की सहूलियत का ख्याल रखकर कमरे में चीज़ों को व्यवस्थित करते रहते हैं। या फिर, हमने अगर कमरा बिखेर भी दिया तो कोई न कोई उसे ठीक कर देता है। लेकिन जब हम अकेले होते हैं और हमारे सामान को सहेज रखने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ हमारी ही होती है, तो हमें इस बात का अंदाज़ा होता है कि वाकई हम कितने लापरवाह या अनुशासित हैं।

2. हमारा मैनेजमेंट स्किल


यहां बात घर चलाने को लेकर हो रही है। जब हम कुछ लोगों के साथ फ्लैट शेयर करते हैं तो घरखर्च से लेकर घर के तमाम काम तक साथ रहनेवालों के बीच बंटा होता है। इसलिए, घर पर राशन है या नहीं, डेयरी आया या नहीं, काम वाली बाई से काम करवाने के लिए घर पर कोई है या नहीं, जैसी बातों की फिक्र नहीं होती। लेकिन जब हम अकेले होते हैं तो लिमिटेड बजट में घर चलाने से लेकर कुक और कामवाली बाई से काम करवाने तक का जिम्मा हमें खुद ही उठाना पड़ता है। यही वो वक्त है जब हमें इस बात का एहसास होता है कि चीज़ों को मैनेज करने में हम कितने दक्ष हैं।

3.अपने डर का एहसास होता है


जब हम अकेले होते हैं तो खुद से अक्सर बातें करते हैं। डिस्टर्ब करने वाला भी कोई नहीं होता। अगर लिखने का शौक हो तो लिखते भी हैं या फिर अपने पालतू कुत्ते को गोद में लेकर घंटों बड़बड़ाते रहते हैं। खुद से कई सवाल करते हैं। इसी 'इंट्रापर्सनल कॉन्वर्सेशन' के दौरान हमें अपने सबसे बड़े डर, सबसे बड़ी कमज़ोरी का एहसास होता है। हमें इस बात पर गौर करने का मौका मिलता है कि अगर हमारे अंदर आत्मविश्वास की कमी है, तो इसका असल कारण क्या है। हम अपनी सबसे बड़ी असुरक्षा से रूबरू होते हैं।
 
4. अपने पैशन से वाकिफ होते हैं हम

हर कोई स्पेशल होता है और हर किसी के अंदर कोई न कोई टैलेंट होता है। लेकिन काम की व्यस्तता और 'लोग क्या कहेंगे' जैसे ख्याल हमें खुद से दूर कर देते हैं। ग्रुप में 'फिट' होने के लिए हम हर वो काम करते हैं जो भले ही हमें नापसंद हो। लेकिन जब हम अकेले रहते हैं तो हर वो काम करते हैं जो करना चाहते हैं। इसी दौरान हमें एहसास होता है कि हम जिंदगी से क्या चाहते हैं, हमारी खासियत क्या है और हमारे अंदर कौन सी स्पेशल चीज़ छुपी हुई है


5.हमें खुश रखने की जिम्मेदारी हमारी है, दुनिया की नहीं

जब हम अकेले होते हैं तो हमारे आंसू पोछने वाला कोई नहीं होता। तबीयत खराब हो, तो शायद पानी देने वाला भी न हो। ऐसी परिस्थिति में ही हमें एहसास होता है कि अगर हमें कोई खुशी दे सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ हम खुद हैं।



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.