हमारे जीवन में हल्दी का बहुत महत्व है। चाहे कोई व्यंजन बनाने में हल्दी का उपयोग हो या घरेलू इलाज, हल्दी बहुत ही काम का तत्व है। हल्दी कई चीजों में उपयोगी मानी जाती है। टूटी हड्डी के इलाज में भी हल्दी बहुत लाभकारी होती है। इसके अलावा हल्दी सामाजिक रिश्तों में भी बहुत महत्व रखती है। आप चौक गए होंगे हल्दी सामाजिक रिश्तों में कैसे भूमिका निभाएगी।
जी हां! हम बात कर रहे हैं शादी-ब्याह के समारोह में लगने वाली हल्दी की। शादी की शुरूआत हल्दी से ही होती है। दूल्हा-दुल्हन की शादी की शुरूआत हल्दी समारोह से होती है। हल्दी कार्यक्रम, तेल-बान जैसे नाम से इस कार्यक्रम के लिए मेहमानों को न्यौता दिया जाता है। लेकिन यह बात गौर करने वाली है कि आखिर शादी समारोह में दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई क्यों जाती है।
ऐसा इसीलिए करते हैं क्योंकि ये एक रस्म है। भारतीय परंपरा के अनुसार, हल्दी लगाना बहुत शुभ माना जाता है और अधिकांश लोग इसे परंपरा मानते हुए लगाते हैं और कई लोग सोचते हैं कि इससे रुप निखरता है। इसलिए इस परंपरा का पालन करते चले आ रहे हैं। जबकि ये रस्म केवल रुप ही नहीं निखारता बल्कि स्वास्थ्य भी बेहतर बनाता है।
आयुर्वेद में हल्दी को औषधि का दर्जा दिया गया है। इस कारण हल्दी हमारी त्वचा के लिए एक तरह से प्राकृतिक का वरदान है। हल्दी के लगाने से त्वचा संबंधी अनेक बीमारियां ठीक हो जाती हैं। इस कारण शादी के वक्त हल्दी लगाई जाती है।
क्योंकि शादी में कई सारे मेहमानों के आने से इंफेक्शन फैलने और हिंदु मान्यता के अनुसार नजर लगने से होने वाली त्वचा संबंधी समस्या होने का खतरा होता है। ऐसे में हल्दी त्वचा की खुश्की दूर करती है और त्वचा में चमक पैदा करती है। साथ ही अगर विवाह के दौरान दुल्हा-दुल्हन को कोई चोट लगी हो या चोट के निशान हों तो उसके लिए भी हल्दी लगाई जाती है।