देश में असुरक्षित गर्भपात हर साल मातृ मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है। मातृ मृत्यु से होने वाली कुल मौतों में आठ प्रतिशत मौतों का कारण असुरक्षित गर्भपात होता है।
यह दावा क्रम्प्रेहेनसिव एर्बोशन केयर (सी.ए.सी.) और व्यापक गर्भनिरोधक देखभाल (सी.सी.सी.) पर कार्य कर रही गैर-सरकारी संस्था आईपास डिवेलपमेंट फाउंडेशन (आई.डी.एफ) ने किया है।
आईडीएफ की निदेशक मेधा गांधी ने कहा कि व्यापक गर्भ समापन देखभाल (सी.ए.सी.) पर महिलाओं की पहुँच पर आवाज़ को मज़बूत बनाने के लिए मीडिया की भूमिका पर आयोजित एक कार्यशाला में किया।
उन्होंने कहा कि आज भी, देश में 80 प्रतिशत से अधिक महिलाएं चिकित्सकीय गर्भ समापन (एमटीपी) अधिनियम, 1971 के प्रावधानों के अनुसार सी.ए.सी. सेवाओं की वैधता और उपलब्धता से अनजान हैं।
स्वास्थ्य प्रणाली द्बारा मुफ्त गर्भ समापन सेवाओं की पेशकश के बावजूद, अभी भी महिलायें अप्रशिक्षित प्रदाताओं से असुरक्षित गर्भ समापन की तलाश करती हैं, और अक्सर स्वास्थ्य जोखिम में डालती हैं और कभी-कभी अपना जीवन भी खो देती हैं।