8 साल बाद भी 26/11 मुंबई हमले के जख्म ताजा

Samachar Jagat | Saturday, 26 Nov 2016 10:57:59 AM
8 Years After 26 11 Terror Attacks

नई दिल्ली। मुंबई में हुए आतंकी हमले को आठ साल बीत चुके है, लेकिन आज भी जख्म भरे नहीं है। इस आतंकी हमले को 26/11 के नाम से जाना जाता है 26 नवंबर 2008 ऐसी तारीख थी जब पूरा देश मुंबई में हुए आतंकी हमले की वजह से सहम गया था। एके 47, आरडीएक्स, आइइडी, ग्रेनेड से लैश आतंकवादी अजमल कसाब और उसके नौ दूसरे साथियों ने आज ही के दिन 2008 को रात में मुंबई में ताज होटल, ओबेराय होटल, वीटी रेलवे स्टेशन, लियोपार्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल आदि जगहों पर हमले किये थे। मुंबई में हर तरफ दहशत और मौत दिखाई दे रही थी। इसके जख्मी आज भी भरते हुए नहीं दिख रहे है, क्योंकि हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद आज भी खुली हवा में सांस ले रहा है।

हाफिज आज भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है, लेकिन अभी तक वह भारत की पहुंच से बाहर है। जब तक वह भारत की पकड़ में नहीं आ जाता, ये जख्म कभी भरने वाले नहीं है। 26 नवंबर 2008 की ही वह काली रात थी, जब लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्री रास्ते से भारत की व्यावसायिक राजधानी में दाखिल हुए और करीब 170 बेगुनाहों को बेरहमी से गोलियों से छलनी कर दिया था। इस हमले में 308 लोग जख्मी भी हुए। ये वो काला दिन था जिस दिन आंखों के सामने लोगों ने अपनों को देखते-देखते खोया था। हमले में अजमल कसाब सहित 10 आतंकवादी शामिल थे। हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को पिछले फांसी दे दी गई।

मुंबई हमलों की छानबीन से जो कुछ सामने आया है, वह बताता है कि 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे। इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते पहुंचते ख़त्म कर दिया गया। रात के करीब आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ़ परेड के मछली बाजार पर उतरे। वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए और टैक्सी लेकर अपनी मजिलों का रूख किया। रात के करीब साढ़े नौ बजे थे। कोलाबा इलाके में आतंकवादियों ने पुलिस की दो गाडिय़ों पर कब्जा किया। इन लोगों ने पुलिस वालों पर गोलियां नहीं चलाईं। सिर्फ बंदूक की नोंक पर उन्हें उतारकर गाडिय़ों को लूट लिया। यहां से एक गाड़ी कामा अस्पताल की तरफ निकल गई जबकि दूसरी गाड़ी दूसरी तरफ चली गई।

रात के लगभग 9 बजकर 45 मिनट हुए थे। करीब  6 आतंकवादियों का एक गुट ताज की तरफ बढ़ा जा रहा था। उनके रास्ते में आया लियोपार्ड कैफे। यहां भीड़-भाड़ थी। भारी संख्या में विदेशी भी मौजूद थे। हमलावरों ने अचानक एके 47 लोगों पर तान दी। देखते ही देखते लियोपार्ड कैफे के सामने खून की होली खेली जाने लगी। बंदूकों की तड़तड़ाहट से दहशत फैल गई। लेकिन आतंकवादियों का लक्ष्य यह कैफे नहीं था। यहां गोली चलाते, ग्रेनेड फेंकते हुए आतंकी ताज होटल की तरफ चल दिए।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन के अलावा आतंकियों ने ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर हमले शुरु कर दिया था। एक साथ इतनी जगहों पर हमले ने सबको चौंका दिया था। इस हमले ने मायानगरी को मातम में डुबो दिया था। इस दर्दनाक घटना को आठ साल का लंबा वक्त गुजर गया लेकिन जख्म आज तक जिंदा हैं मानों कल की ही बात हो। ये दुख लोगों के दिलों से भुलाए नहीं भूला जाता।

 



 

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