नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ नौकरशाह बी के बंसल की विवादास्पद आत्महत्या के मामले की जांच विशेष जांच दल एसआईटी से कराने के लिये दायर याचिका पर आज केन्द्र और केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जवाब तलब किये लेकिन ‘संवेदनशील’ मामले के राजनीतिकरण के खिलाफ चेतावनी दी जिसमें अधिकारी कथित तौर पर रिश्वत स्वीकार करने के लिए सीबीआई जांच के दायरे में आए थे।
न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने मामले में उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा, ‘‘मामले का राजनीतिकरण नहीं करें। यह एक संवेदनशील मामला है।’’
कार्पोरेट मामलों के पूर्व महानिदेशक बंसल के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो जांच कर रहा था। बंसल और उनके पुत्र ने 27 सितंबर को अपने पूर्वी दिल्ली निवास में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी।
पिता पुत्र के आत्महत्या करने से करीब दो महीने पहले ही बंसल की पत्नी और पुत्री ने भी अपने मकान में छत में लगे पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी।
पूर्व नौकरशाह ई ए एस सरमा की याचिका पर सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किये गये। याचिका में इस घटना की जांच के लिये निष्पक्ष छवि वाले अधिकारियों का विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया गया है । याचिका में बंसल और उनके परिवार की आत्महत्या के मामले में कथित रूप से संलिप्त व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का भी अनुरोध किया गया है।
सरमा की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस ने कहा कि मामले में एसआईटी जांच की आवश्यकता है क्योंकि सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ यातना के गंभीर आरोप थे।
उन्होंने बंसल और उनके परिवार के आत्महत्या करने के मामले में कथित तौर पर शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की भी मांग की।
बंसल पिता पुत्र दोनों ने अपनी आत्महत्या से पहले छोडे गये अलग अलग पत्रों में कहा था कि सीबीआई के छापों ने उन्हें बहुत अधिक अपमानित किया है और वे इसके बाद अब जीना नहीं चाहते।
केन्द्र सरकार में अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी बंसल को सीबीआई ने एक प्रमुख दवा कंपनी से कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में 16 जुलाई को गिरफ्तार किया था।
जांच ब्यूरो ने इस मामले में आठ स्थानों पर तलाशी ली थी। एजेन्सी ने दावा किया था कि इस कार्रवाई में उसने नकदी बरामद की। बंसल को बाद में गिरफ्तार किया गया था लेकिन उन्हें फिर जमानत मिल गयी थी।