नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतें आम नागरिकों के लिए ‘‘हमेशा उपलब्ध’’ हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने इस धारणा को दूर करने का प्रयास किया कि उसकी रजिस्ट्री मामलों को समय से सूचीबद्ध करने की ओर ध्यान नहीं देती।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा, ‘‘आप क्यों कह रहेे हैं कि रजिस्ट्री ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किया? आप क्यों ऐसा सोचते हैं। अदालत पर पहले से ही काफी भार है और कुछ ऐसे मामले हो सकते हैं जो सूचीबद्ध नहीं हो सके। वहां तक नहीं सोचिए। कुछ वजहें हो सकती हैं, हो सकता है कि कुछ न्यायाधीश उस खास दिन उपलब्ध नहीं हों।’’
यह टिप्पणी उस समय की गयी जब पीठ ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान से सवाल किया, ‘‘यह दूसरी याचिका क्यों, जबकि आपने पहले ही समान राहत की मांग करते हुए एक याचिका दायर की हुयी है।’’ पीठ उनकी नई याचिका का जिक्र कर रही थी जबकि आधार मामले से जुड़ी याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। दीवान ने कहा कि अंतरिम राहत की सुनवाई के लिए याचिकाएं रजिस्ट्री द्वारा सूचीबद्ध नहीं की गयी।
सुनवाई के आखिरी चरण में पीठ ने कहा, ‘‘कृपया यह नहीं सोचें कि अदालत आम नागरिकों के लिए उपलब्ध नहीं है। अदालत हमेशा नागरिकों के लिए उपलब्ध है। यह अदालत सबके लिए खुली है।’’ एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि आज की तारीख तक 115 करोड़ आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं लेकिन एक भी व्यक्ति अदालत नहीं आया कि उसे आधार के कारण किसी कल्याण योजना से वंचित किया गया है। -(एजेंसी)