नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर अविलंब सुनवाई से आज मना कर दिया जिसमें नोटबंदी पर केंद्र की आठ नवंबर की अधिसूचना को विभिन्न आधारों पर निरस्त करने की मांग की गई है। इन आधारों में यह भी शामिल है कि राजनैतिक दलों और धार्मिक संस्थानों को बैंकों में पुराने नोट जमा करने की अनुमति नहीं दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति ए आर दवे की पीठ ने कहा, ‘‘हम हर दिन विमुद्रीकरण के मुद्दे पर सुनवाई नहीं कर सकते।’’
पीठ ने याचिकाकर्ता से 25 नवंबर को आने को कहा जब अधिसूचना के खिलाफ अन्य याचिकाओं पर सुनवाई होगी।
अपनी याचिका में अधिवक्ता एम एल शर्मा ने दावा किया है कि 2000 के नए नोट जाली हैं क्योंकि एक बार धोए जाने के बाद इसका रंग बदलता है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राजनैतिक दल, एनजीओ, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरद्वारों को अधिसूचना के प्रभावी होने के बाद पुराने नोट जमा करने की अनुमति नहीं दी गई है।
याचिका में दावा किया गया है कि सरकार द्वारा अपनायी गई अक्षम व्यवस्था की वजह से नागरिक पीडि़त हो रहे हैं।