मुस्लिम वोटर्स को लुभाने की कवायद में बुकलेट वितरित कर रही है 'बसपा'...जानें क्या है इस Booklate में?

Samachar Jagat | Monday, 28 Nov 2016 03:31:58 PM
 exercise booklet being distributed by mayawati to woo muslims voters in up

लखनऊ। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के नोटबंदी फैसले के कारण उपजे करेंसी के संकट के बीच, बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दलित-मुस्लिम गठजोड के एजेंडे को अमली जामा पहनाने की कवायद के तहत मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में जुट गयी है। 

बसपा कार्यकर्ता मुस्लिम समाज का सच्चा हितैषी कौन, फैसला आप करें शीर्षक से आठ पन्नों की बुकलेट मुस्लिम मतदाताओं के बीच वितरण कर रहे हैं। इससे पहले पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में 128 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देने का एलान कर चुकी है। 

बुकलेट के मुख्य पृष्ठ पर मायावती की तस्वीर छपी है। हिन्दी और उर्दू भाषा में छपी इस पुस्तक में बसपा अध्यक्ष ने भारतीय जनता पार्टी के साथ अतीत के 13 विभिन्न पहलुओं पर सफाई दी है। यह पुस्तिका पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल क्षेत्रों में वितरित की जा रही है। 

पार्टी सूत्रों ने आज यहां बताया कि पुस्तिका में कहा गया है कि बसपा अपने आदर्शों और विचारधारा पर समझौता करने के बजाय सत्ता खोना पसन्द करती है। भाजपा के साथ मिलकर अतीत में तीन बार सरकार बनाने के बारे में पार्टी ने समाजवादी पार्टी (सपा) के आरोपों के स्पष्टीकरण के साथ पुस्तिका की शुरूआत की है। 

बुकलेट में लिखा गया है कि हमने विचारधारा, सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया और सत्ता रहते भाजपा को उसके अपने एजेंडे को लागू करने की अनुमति नहीं दी। हमने सरकार रहते अयोध्या, मथुरा और काशी में कोई नई परंपरा शुरू नहीं होने दी।

मायावती ने पुस्तिका में लिखा है हमने 1999 में भाजपा को सबक सिखाया था जब हमारे एक वोट के कारण उसकी सरकार गिरी थी। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार रही केन्द्र में भाजपा की शक्ति में वृद्धि हुई है। वर्ष 2009 में जब बसपा की सरकार उत्तर प्रदेश में थी तब भाजपा को केवल नौ लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। इसके मुकाबले वर्ष 2014 में जब सपा सत्ता में थी तब भाजपा को 73 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 

बुकलेट में कहा गया है कि मायावती ने 2003 में कोई समझौता नहीं किया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तब केन्द्र में भाजपा सरकार थी। उस समय सपा के बहुमत में नहीं होने के बावजूद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने और भाजपा नेता केसरी नाथ त्रिपाठी विधानसभा अध्यक्ष थे। बुकलेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सपा मुखिया के साथ निकटता का भी हवाला दिया गया है जिसमें मोदी ने इटावा के सैफई में यादव परिवार में हुये विवाह समारोह में शिरकत की थी।

बुकलेट में दावा किया गया है कि समाजवादी पार्टी का उदय भाजपा की मदद से हुआ था। भाजपा के पुराने अवतार भारतीय जनसंघ की मदद से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पहली बार 1967 में जसवंतनगर सीट पर विजय हासिल की थी। बाद में चुनाव जीतने के बाद 1977 में उन्होंने जनसंघ की सहायता से सरकार बनायी और मंत्री बने।

वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव और विश्वनाथ प्रताप सिंह ने दो लोकसभा सीट जीतकर भाजपा को नया जीवन दिया था। उस समय लोकसभा में भाजपा की संख्या बढकर 88 हो गयी थी। पुस्तिका में यह भी आरोप दर्ज है कि मुलायम सिंह यादव ने 1990 में सोमनाथ से अयोध्या रथ यात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी को मौन मदद दी थी।

बसपा ने मुसलमानों को याद दिलाया है कि वर्ष 1995 में भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने के बावजूद उसने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में विश्व हिंदू परिषद को जलाभिषेक करने और मथुरा ईदगाह में विष्णु यज्ञ करने की अनुमति नहीं दी। यही स्थिति मुलायम सिंह के सामने 1990 में अयोध्या को लेकर आयी थी जिसमें उन्होंने गोलीबारी का आदेश दिया और यह निर्णय सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण का कारक बना। बुकलेट में दावा किया गया है कि बसपा भविष्य में भाजपा के साथ किसी प्रकार के गठबंधन को खारिज करती है।

बुकलेट के अनुसार वर्ष 2012 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में सपा ने वादा किया था कि मुसलमानों के लिए कोटा प्रदान करेंगे और आतंकवाद के कथित आरोप में जेलों में बंद मुस्लिम युवाओं को बरी करायेंगे मगर इसके विपरीत सपा के शासनकाल में 400 सांप्रदायिक दंगे हुए जिसमें सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई। कई नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। सपा ने मुजफ्फरनगर में मुस्लिम दंगे में मारे गये पीड़ितों के शिविरों पर बुलडोजर चलवाया था।

बुकलेट में मुसलमानों से पूछा गया है कि बाबरी मस्जिद पर पहला फावड़ा मारने वाले साक्षी महाराज को राज्यसभा में किसने भेजा था। कल्याण भसह पर बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप के बावजूद उनको सपा में किसने शामिल किया था।
 



 

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