मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल को मनी लाउंड्रिंग निवारण विधेयक पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस लेने की आज इजाजत दे दी। इसके तहत ही उन पर मामला दर्ज किया गया था।
भुजबल के वकील विक्रम चौधरी ने न्यायमूर्ति आरवी मूर और शालिनी फांसलकर जोशी को बताया कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं और एक नयी याचिका दायर कर यह दावा करना चाहते हैं कि राकांपा नेता को प्रवर्तन निदेशालय ने अवैध अवैध रूप से हिरासत में लिया था।
भुजबल को मनी लाउंड्रिंग के आरोपों में 14 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के बाद भुजबल ने उच्च न्यायालय का रूख कर पीएमएलए की धाराएं 19 और 45 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।
चौधरी ने उच्च न्यायालय को बताया कि वह अपनी याचिका वापस लेते हैं और भुजबल की अवैध हिरासत के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर करते हैं।
पीठ ने वकील को ऐसा करने की इजाजत दी और कहा कि नयी याचिका का जिक्र अदालत के समक्ष 18 नवंबर को किया जा सकता है।