नई दिल्ली। नीम, हल्दी और गिलॉय के औषधीय उपयोग के परंपरागत ज्ञान, नवाचार, सृजनात्मकता के संरक्षण और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भारत और ब्रिटेन ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में संयुक्त रुप से सहयोग करने का फैसला किया है।
औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग और ब्रिटेन बौद्धिक संपदा कार्यालय के बीच हुए इस निर्णय से दोनों देशों के बीच परंपरागत ज्ञान और नवाचार का संरक्षण होगा और इसे आम जनता की समृद्धि के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
दोनों देशों ने फैसला किया है कि इसके लिए उचित प्रणाली स्थापित की जाएगी दोनों पक्ष सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली साझा कर सकेंगे। इसके साथ ही दोनो देश बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी आदान-प्रदान के क्षेत्र में मिलजुल कार्य कर सकेंगे।
दोनों देशों के नागरिकों, व्यापारियों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच बौद्धिक संपदा जागरूकता बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली,अनुभवों और ज्ञान का आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग, विशेषज्ञों का आदान-प्रदान, तकनीकी सहयोग और विस्तृत गतिविधियां आयोजित की जाएगी। दोनों देशों ने बौद्धिक संपदा पर ज्ञान, अनुभवों और सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली का औद्योगिक क्षेत्र, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान और विकास संगठनों और लघु और मध्यम उद्यमियों के साथ कार्यक्रमों में भागीदारी को बढ़ाना देने का फैसला किया है।
दोनों देश एक दूसरे के परंपरागत ज्ञान और अनुभवों को साझा करेंगे और प्रसार करेंगे। दोनों पक्षों ने अधिकार पत्र, व्यवसायिक चिन्ह, औद्योगिक प्रारूप और भौगोलिक संकेतकों के निपटान के आवेदनों की प्रकिया के साथ-साथ बौद्धिक संपदा अधिकारों के इस्तेमाल , प्रवर्तन और संरक्षण पर सूचना और सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली को साझा करने का निर्णय किया है।
बौद्धिक संपदा में सूचना प्रणाली, नवीन प्रलेखन, स्वचालन के विकास में सहयोग औऱ नवीनीकरण परियोजनाओं के कार्यान्वयन और बौद्धिक संपदा के प्रबंधन की प्रकिया में भी आपसी सहयोग करेंगे। इसके अलावा परपंरागत ज्ञान के संरक्षण को समझने पर सहयोग और परपंरागत ज्ञान संबंधी आंकडों के सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली का आदान-प्रदान भी होगा।