अंतर्राष्ट्रीय विवाद समाधान में प्रमुख देश बन सकता है भारत : प्रणब

Samachar Jagat | Tuesday, 29 Nov 2016 07:28:51 AM
India could become the leading country in the International Dispute Resolution Pranab

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि भारत में अंतर्राष्ट्रीय विवाद समाधान के लिए एक प्रमुख देश बनने की क्षमता है। संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग (यूएनसीआईटीआरएएल) की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में मुखर्जी ने कहा, भारत का पंचायत प्रणाली से ही विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का एक लंबा इतिहास रहा है। यहां स्वतंत्रता से पूर्व ही मध्यस्थता के संबंध में अनेक विधान बने हैं। भारत में विकास और मध्यस्थता के आधुनिकीकरण में वर्ष 1996 का विशिष्ट स्थान है। मध्यस्थता विवादों के समयबद्ध और न्यायपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने के लिए मध्यस्थता एवं समाधान अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं।

प्रणब ने कहा, भारत में पिछले महीने मध्यस्थता एवं समाधान को मजबूत करने की दिशा में राष्ट्रीय पहल की शुरुआत की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी घोषणा की है कि एक समर्थकारी वैकल्पिक विवाद समाधान पारिस्थितिकी तंत्र भारत के लिए एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है और हमें भारत को एक मध्यस्थता केंद्र के रूप में विश्व स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि इस सम्मेलन में विचार-विमर्श के तरीके और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और समाधान की एक स्वस्थ और स्थाई संस्कृति को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों का पता लगाया जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा, संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और उद्देश्यों की प्रतिबद्धता, इसके विशिष्ट कार्यक्रमों और एजेंसियों के विकास के एक हिस्से के रूप में यूएनसीआईटीआरएएल के स्वर्ण जयंती समारोह की मेजबानी करने के लिए भारत बहुत प्रसन्न है। यह कानून के शासन के लिए भारत की प्रतिबद्धता का एक महत्वपूर्ण वसीयतनामा है कि आठ देशों में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो यूएनसीआईटीआरएएल की स्थापना से ही इसका एक सदस्य है और इसे छह साल की अवधि के लिए फिर से निर्वाचित किया गया है।

भारत की मान्यता है कि यूएनसीआईटीआरएएल का प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सहायता करने से कहीं अधिक रहा है। हाल के वर्षो में इसके अनुकरणीय कार्यो ने महत्वपूर्ण विचारों का नेतृत्व उपलब्ध कराया है, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य तथा व्यापार दोनों में मदद के लिए अनेक घरेलू कानूनी व्यवस्थाओं में परिवर्तन को प्रेरित किया है।

 



 

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