नई दिल्ली। जानेमाने वकील राम जेठमलानी ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले के बाबत शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम के फैसलों को ‘‘नेताओं की ओर से धता बताया जा रहा’’ है ।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति ए आर दवे की पीठ के समक्ष अपनी दलीलों में जेठमलानी ने यह बात कही । वह उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़ी मौजूदा कार्यवाही में गुजरात बार असोसिएशन के एक वकील की तरफ से मामले में दखल की मांग कर रहे थे ।
गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम आर शाह के तबादले और कथित ‘‘व्यवहार’’ के मामले का हवाला देते हुए जेठमलानी ने कहा कि वहां हालात ‘‘बेहद खराब’’ हैं । हालांकि, उन्होंने इस बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया ।
राज्यसभा सदस्य जेठमलानी ने अपनी संक्षिप्त दलील में कहा, ‘‘कॉलेजियम के फैसलों को नेताओं की ओर से धता बताया जा रहा है ।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें संसद में कार्यवाही में हिस्सा लेने जाना है ।
जेठमलानी की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले में दखल की उनकी अर्जी मंजूर कर ली ।
याचिकाकर्ता ने केंद्र को यह निर्देश देने की भी मांग की है कि वह उच्चतम न्यायपालिका में न्यायाधीशों के खाली पदों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाए ।
इस बीच, दिन में न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े मुख्य मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि उसने शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम की ओर से ऐसे 43 नामों को खारिज करने के केंद्र के फैसले को स्वीकार नहीं किया है जिनकी सिफारिश विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद पर नियुक्ति के लिए की गई थी । पीठ ने यह भी कहा कि इन नामों को फिर से विचार के लिए वापस भेज दिया गया है ।